‘फलस्तीनियों को मारने से इस्राइल नहीं होगा अधिक सुरक्षित’, UN में भड़के फलस्तीनी राजदूत
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को एक आपातकालीन सत्र में मंसूर ने जोर देकर कहा कि 75 वर्षों में अब इस्राइल ने बेशर्मी से समझाया है कि उसे हमें कैसे बेदखल करना पड़ा, कैसे उसे हमारी जमीन पर कब्जा करना पड़ा, कैसे उसे हमारे लोगों को मारना पड़ा।
न्यूयॉर्क (आरएनआई) संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन के राजदूत रियान मंसूर ने इस्राइल की निंदा की। उन्होंने कहा कि फलस्तनीतियों को मारने से इस्राइल कभी भी अधिक सुरक्षित नहीं होगा। इतना ही नहीं मंसूर ने इस्राइल को अपनी भूमि पर कब्जे के लिए जिम्मेदार भी ठहराया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में बुधवार को एक आपातकालीन सत्र में मंसूर ने जोर देकर कहा, '75 वर्षों में अब इस्राइल ने बेशर्मी से समझाया है कि उसे हमें कैसे बेदखल करना पड़ा, कैसे उसे हमारी जमीन पर कब्जा करना पड़ा, कैसे उसे हमारे लोगों को मारना पड़ा।'
उन्होंने आगे कहा कि अधिक फलस्तीनियों को मारना कभी भी इस्राइल को अधिक सुरक्षित नहीं बना सकता। 75 साल का अनुभव उन लोगों के लिए पर्याप्त सबूत होना चाहिए था, जो बताना चाहते हैं कि इस दुनिया में कोई तर्क नहीं है, इस दुनिया में कोई नैतिक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में कोई कानून नहीं है जो लोगों निर्दोष बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की हत्या को सही ठहरा सके।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया देख रही है। पिछले 11-12 दिनों की घटनाएं अगले 10 वर्षों को काफी बदल सकती है। आगे जो भी होगा वह निर्णायक है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को लगता है कि हालात नियंत्रण में है, जिसके लिए योजना बना सकते हैं और लागू कर सकते हैं, तो गलत है। यह इस तरह का युद्ध है, जहां यह पता होता है कि इसे कैसे शुरू किया जाए, लेकिन यह पता नहीं होता कि यह समाप्त कैसे होगा।
गाजा में नरसंहार के लिए इस्राइल को दोषी ठहराते हुए राजदूत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून में नरसंहार करने का कोई अधिकार नहीं है। इस्राइल हर दिन गाजा में नरसंहार कर रहा है। पिछले 10 दिनों से आपने देखा है कि हमले में पूरे परिवार, स्कूल, अस्पताल, आवासीय इमारतें और काफिले को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘आप सभी कहेंगे कि नागरिक जीवन की रक्षा की जानी चाहिए और फिर भी आप में से कुछ, अब तक, हमले को रोकने के लिए तत्काल युद्धविराम का आह्वान करने में असमर्थ हैं।’
उन्होंने कहा, 'अगर परिषद ने दो दिन पहले संघर्ष विराम का आह्वान किया होता और उसके अनुसार काम किया होता तो इससे सैकड़ों लोगों की जान बच जाती। शायद कुछ लोगों के लिए सैकड़ों फलस्तीनी जीवन को बचाना इतना महत्वपूर्ण नहीं है। उन्होंने आगे कहा, ‘हमने महीनों पहले परिषदों से कहा था कि सभी के जीवन को बचाने के लिए कार्य करें। आपने तब हमारी बात नहीं सुनी। अब वही गलती न करें। यह उस तरह का युद्ध है, जहां आप जानते हैं कि यह कैसे शुरू होता है और अब तक कोई जानकारी नहीं है कि यह कैसे समाप्त होगा। इसे रोका जा सकता है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। इसमें और देरी करना खतरनाक हो सकता है।’
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