फर्जी खबरों पर संशोधित आईटी नियम किए गए रद्द, बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का कांग्रेस ने किया स्वागत
कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें हाईकोर्ट ने फर्जी खबरों पर संशोधित आईटी नियमों को रद्द कर दिया है। वही इसके साथ ही पार्टी ने केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा है।
नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस ने शनिवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार के खिलाफ फर्जी और झूठी खबर की पहचान करने के उद्देश्य से संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी नियमों को रद्द कर दिया गया और कहा कि अजीब मजाक है कि सत्तारूढ़ दल ने ऐसी इकाई बनाई है।
बीते दिन शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार के खिलाफ फर्जी और झूठी खबर की पहचान करने के उद्देश्य से संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी नियमों को असांविधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। ये देखते हुए कि संशोधित नियम समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं, अदालत ने यह भी कहा कि नियम अस्पष्ट और व्यापक होने के कारण न केवल किसी व्यक्ति पर बल्कि सोशल मीडिया मध्यस्थों पर भी बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।
स मामले पर सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लिखा- बॉम्बे हाईकोर्ट ने तथ्य-जांच इकाई को असंवैधानिक करार देते हुए सही किया है। उन्होंने कहा, गैर-जैविक प्रधानमंत्री झूठ के जनक हैं। यह एक अजीब मजाक है कि जिस सरकार को वे चलाते हैं, उसने तथाकथित 'तथ्य जांच इकाई' बनाई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे सही रूप से असांविधानिक माना है। लेकिन ये उन्हें अपने अनोखे झूठ को फैलाने से नहीं रोक पाएगा।
इसके साथ ही सीपीआई (एम) ने भी बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। सीपीआई (एम) ने शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, मोदी सरकार के प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के क्रूर प्रयास को रोकने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत है।
हाईकोर्ट के फैसले के बारे में पूछे जाने पर, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, सरकार में बैठे लोगों समेत किसी ने भी उस तथ्य जांच इकाई को गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए हम बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं। बता दें कि स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्ट एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने नए नियमों को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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