फर्जी कंपनी बनाकर जालसाजों ने मजदूरों से की लाखों रुपए की ठगी, जांच में जुटी पुलिस
डबरा (आरएनआई) मध्य प्रदेश में सरकार गरीब मजदूरों के लिए कई तरह की स्कीम चलाया जा रहा है, जिसके तहत उन्हें अपना जीवनयापन करने और रोजगार चलाने के लिए उनको लोन मुहैया कराने काम कर रही है। ऐसे में कुछ फर्जी फाइनेंस कंपनियां इस मौके का फायदा उठा रही हैं। मजदूर लोगों को लोन का झांसा देकर उनके साथ लाखों रुपए की ठगी करने का काम कर रही हैं। ऐसा ही एक बड़ा मामला डबरा में सामने आया है, जहां शहर और उसके आसपास के गांवों में रहने वाले गरीब मजदूरों को NHB हाउसिंग फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम से कुछ लोग लोन का झांसा देकर लाखों रुपए की ठगी कर रफू चक्कर हो गए।
इस पूरे मामले में पीड़ित गांव वालों ने थाने में शिकायती आवेदन के माध्यम से डबरा सिटी थाने पर पहुंचे, जहां पर उन्होंने न्याय के लिए पुलिस प्रशासन से गुहार लगाई है। इस दौरान गांव वालों ने बताया कि एक NHB हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड शाखा के नाम से कुछ लोग उनको रोजगार शुरू करने के लिए लोन दिलाने की बात की थी। इस दौरान उन लोगों ने कहा था कि जब लिस्ट में लोन के लिए जिन ग्रामीणों का नाम आएगा उनसे 10,000 रुपए फाइल चार्ज लिया जाएगा। फिर कुछ दिनों बाद वही लोग इसी कंपनी के नाम से ग्रामीणों के पास में आए और लिस्ट में नाम दिखाकर फाइल चार्ज के नाम पर पैसे की मांग करने लगे, जिसके बाद ग्रामीणों ने जांच पड़ताल करने के लिए उनसे ऑफिस और ब्रांच के बारे में पूछा तो उन्होंने बल्ला का डेरा स्थित आर के प्लाजा झांसी रोड पर अपना ऑफिस होना बताया था। ग्रामीणों ने वहां जाकर पाया कि वहां पर राघव प्रताप नामक व्यक्ति और उसके साथी ऑफिस में थे, जिनको ग्रामीणों ने पैसे दिए। इस दौरान कई लोगों ने अपने घर के कागज, कुछ लोगों ने अपनी गाड़ी के कागज और कुछ लोगों ने गारंटी के नाम पर रुपए और कागजात भी लगाएं। कुछ दिनों बाद लोगो ने ऑफिस में जाकर देखा तो वह ब्रांच वहां मौजूद नहीं थी। फर्जी कंपनी के नाम ठगों ने सभी ग्रामीणों को मिलाकर लगभग 15 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी की।
संज्ञान में कुछ मजदूर ग्रामीणों से लोन के नाम पर ठगी करने का मामला सामने आया है, जिसको लेकर पीड़ितों से पुलिस ने मामले से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। पुलिस दस्तावेजों के आधार पर मामले की जांच कर रही है। जांच में जिस भी फाइनेंस कंपनी का नाम सामने आएगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी- विवेक शर्मा, एसडीओपी, डबरा।
गौर करने वाली बात यह भी है कि डबरा सिटी थाने से कुछ ही मीटर की दूरी पर यह फर्जी कंपनी का ऑफिस संचालित हो रहा था। ऐसे में पुलिस प्रशासन को क्या इसकी कानों कान खबर थी या फिर खबर होते हुए भी पुलिस प्रशासन ने इस ओर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा, क्योंकि शहर में हर अपराध की गतिविधि की जानकारी पुलिस को सबसे पहले लगनी चाहिए। जिससे अपराध रुक सकें। लेकिन यहां तो उल्टा ही होता है वारदात हो जाने के बाद मामला पुलिस प्रशासन अपने संज्ञान में लेता है। वहीं ऐसे और भी कई मामले पहले भी डबरा सिटी थाना क्षेत्र के अंतर्गत देखे जा चुके हैं।
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