दागी अफसरों पर कार्यवाही के सीएम के निर्देशों के बाद हत्या के मामले में फरार एसआई रामवीर सिंह नौकरी से बर्खास्त
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गुना। हत्या के मामले में फरार एसआई रामवीर सिंह कुशवाह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। कई अपराधों में नामजद एसआई पर बीस हजार रूपए का इनाम घोषित है। सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वच्छ प्रशासन के लिए जिन दागी अफसरों पर कार्यवाही के लिए निर्देश दिए गए थे उनमें रामवीर का नाम भी शामिल था।
डीआईजी उज्जैन अनिल सिंह कुशवाह ने आदेश क्रमांक/उमनि/उज्जैन/पीए/विजा/(08-22)/156- J/23 जारी कर एसआई रामवीर सिंह पुत्र सुखवीर सिंह को थाना धरनावदा जिला गुना के अपराध क्रमांक 65/17 धारा 307, 365 भादवि. 3 (2) (5) एस०सी०/एस०टी० एक्ट में उप पुलिस अधीक्षक, अपराध अनुसंधान विभाग जोन ग्वालियर के कार्यालय में दिनांक 12 दिसंबर 2022 को उपस्थित होने हेतु निर्देशित करने के उपरांत भी नियत दिनांक 12 दिसंबर 2022 को अअवि जोनल कार्यालय ग्वालियर में उपस्थित नहीं होकर स्वेच्छाचारितापूर्ण आचरण करने और पुलिस लाईन आगर से भी दिनांक 12 दिसंबर 2022 से लगातार कर्तव्य से बिना किसी सूचना के अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के आरोप सिद्ध पाकर शासकीय सेवा से पदच्युत करने का आदेश जारी किया। यह आदेश 8 अगस्त को जारी हुआ है, लेकिन सामने अब आया है।
सीएम ने दिए हैं दागियों पर कार्यवाही के निर्देश
दरअसल, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विभिन्न विभाग के दागी अफसरों पर कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। पुलिस महकमे में गंभीर आरोपों के चलते जिन दागियों पर कार्यवाही होना है उस हिटलिस्ट में एसआई रामवीर का नाम भी शामिल है। सूत्र बताते हैं कि गत वर्ष दिल्ली के आनंद लोक इलाके में को करोड़ों रुपए की डकैती हुई थी। उसमें पकड़े गए धरनावदा थाना क्षेत्र के पारदी बदमाशों से दिल्ली पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में एमपी पुलिस के एसआई रामवीर सिंह की भूमिका संदिग्ध मिली थी। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय भी सतर्क हुआ था। सूत्र बताते हैं कि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एसआई रामवीर सिंह के अपराधों की फेहरिस्त देखकर उसकी कुंडली खंगालने के निर्देश डीजीपी सुधीर सक्सेना को दिए थे। इसके बाद एसआई के विरुद्ध दबे तमाम मामलों की जांच में तेजी आ गई। उच्च स्तरीय निर्देशों के बाद एडीजी सीआईडी जीपी सिंह ने एसआईटी से एसआई रामवीर के अपराधों की जांच कराई।
आधा दर्जन अपराध, कई विभागीय जांच
शिवपुरी जिले के रन्नौद कस्बे का निवासी एसआई रामवीर सिंह फरार होने तक गुना की सोनी कॉलोनी में आलीशान कोठी में रहता था। वर्ष 1997 में पुलिस विभाग में आरक्षक के पद पर भर्ती होकर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन से वह एसआई के पद पर पहुंचा था। 2019 में जब बहुचर्चित आत्माराम केस की फाइल एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद खोली गई थी तब आरोपी रामवीर पर शिकंजा कसने वाले अधिकारियों कर्मचारियों समेत एसपी राहुलकुमार लोढ़ा का ट्रांसफर भी गुना से करा दिया था। तब डीएसपी विवेक शर्मा, एसआई नीरज बिरथरे, आरक्षक सुजीत सिकरवार, अजय तिवारी, अमित भारद्वाज, नीरज जोशी उर्फ टोनी समेत कई के तबादले हुए थे, जबकि एएसआई शाकिर अली के विरुद्ध एक शिकायत पर जांच बैठ गई थी। आत्माराम केस का खुलासा करने वाले स्टिंग ऑपरेशन का गवाह आरक्षक नीरज जोशी उर्फ टोनी शिकायतों की जांच से तंग आकर सर्विस राइफल से हवाई फायरिंग कर बैठा था जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया था, बाद में उस पर कई अपराध कायम कराए गए जिन पर सवाल उठते रहे। बताया जाता है कि कमलनाथ सरकार में अपने प्रभाव के चलते रामवीर ने अधिकारी कर्मचारियों पर दवाब बनवाने के लिए उनकी शिकायतें और तबादले करवाए थे ताकि दबाव में आकर कोई भी उसके विरुद्ध कार्यवाही न करें।
माफिया अंदाज में की दरोगा की नौकरी
रामवीर ने एसआई की नौकरी माफिया अंदाज में की। उसके साथ हमेशा हथियारों से लैस प्राइवेट आदमी रहा करते थे।रसूख बढ़ने के साथ ही साथ रामवीर के अपराधिक रिकॉर्ड में भी इज़ाफा होता रहा। जिनमें उसके प्राइवेट साथी भी नामजद हुए। रामवीर के रूठियाई स्थित फार्म हाउस पर रहने वाले राइट हैंड कहे जाने वाले इनामी बदमाश ने रघु रोकड़ा ने तो विजयपुर थाने की पुलिस के साथ झुमझटकी भी की थी जिसके वीडियो वायरल हुए थे। रघु भी फरार है उस पर 30 हजार का इनाम घोषित है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 से 2023 के बीच एसआई रामवीर पर थाना धरनावदा में तीन, कोतवाली गुना में दो और थाना कैंट में एक अपराधिक प्रकरण दर्ज हुआ है। जबकि दो पत्नियां रखने के आरोप में और आय से अधिक संपत्ति होने के आरोप में विभागीय जांच चल रही है।
न गिरफ्तारी हुई न कुर्की हुई, हथियार भी नहीं हुए जप्त
हत्या के मामले में फरार घोषित किए जाने के बाद मार्च महीने में स्पेशल कोर्ट ने उसकी संपत्ति कुर्क किए जाने के आदेश गुना और शिवपुरी कलेक्टर को दिए थे लेकिन अभी तक कुर्की की कार्यवाही नहीं हुई है। इसी तरह गुना कलेक्टर द्वारा रामवीर को जारी शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए जाने के आदेश को भी गुना पुलिस अमल नहीं करा पाई है। इसके अलावा फरार एसआई को गिरफ्तार करने में भी गुना पुलिस की कोई रुचि देखने नहीं मिली है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि अब खुफिया एजेंसी के रडार पर रामवीर के मददगार भी हैं। देखना लाजमी होगा कि एमपी की गुना पुलिस इसे कब तक गिरफ्तार करती है।
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