'विश्वासघात', प्रियंका ने वायनाड भूस्खलन के लिए ऋण माफी न करने पर केंद्र को सुनाई खरी-खोटी
केरल में पिछले साल भीषण तबाही मची थी। 30 जुलाई को मुंदक्कई और चूरलमाला क्षेत्रों में एक बड़ा भूस्खलन हुआ था, जिससे दोनों क्षेत्र लगभग तबाह हो गए थे। आपदा में सैकड़ों लोग घायल हुए, 200 से अधिक लोगों की जान चली गई और 32 लोग अब भी लापता हैं।

कोच्चि (आरएनआई) कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को जमकर निशाना साधा है। केंद्र सरकार ने केरल उच्च न्यायालय को यह बताया था कि पिछले साल वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों के ऋण माफ नहीं किए जाएंगे। इसे लेकर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने गुरुवार को कहा कि यह विश्वासघात है। हम इस उदासीनता की कड़ी निंदा करते हैं।
केंद्र सरकार ने केरल हाईकोर्ट में दलील दी कि पिछले साल जुलाई में वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों के ऋण माफ नहीं किए जाएंगे। इसके बजाय उन्हें प्राकृतिक आपदाओं पर आरबीआई के मास्टर निर्देशों के अनुसार पुनर्निर्धारित या पुनर्गठित किया जाएगा। दरअसल, कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया था कि क्या प्रभावित व्यक्तियों की ओर से लिए गए ऋण माफ किए जा सकते हैं? केंद्र ने पहले जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और ईश्वरन एस की पीठ को सूचित किया था कि प्रस्तावित उपाय भूस्खलन पीड़ितों द्वारा लिए गए ऋणों पर रोक और पुनर्गठन तक सीमित हैं।
कांग्रेस महासचिव और वायनाड से सांसद वाड्रा ने कहा, 'हम इस उदासीनता की कड़ी निंदा करते हैं और वायनाड में अपने भाइयों और बहनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। वायनाड भूस्खलन पीड़ितों ने अपना सब कुछ खो दिया है- घर, जमीन, आजीविका। फिर भी सरकार ऋण माफी करने से इनकार कर रही है। इसके बजाय उन्हें केवल ऋण पुनर्निर्धारण और पुनर्गठन का सहारा दिया जा है।
उन्होंने कहा कि यह राहत नहीं है। यह विश्वासघात है। हम इस उदासीनता की कड़ी निंदा करते हैं और वायनाड में अपने भाइयों और बहनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। उनके दर्द को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। हम न्याय मिलने तक हर मंच पर उनकी आवाज उठाएंगे।
हलफनामे में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा कि पिछले साल 19 अगस्त को केरल की राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की एक विशेष बैठक हुई थी। बैठक में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी शामिल हुए थे। इसमें समिति ने प्राकृतिक आपदाओं पर आरबीआई के मास्टर निर्देशों के अनुरूप लागू राहत उपायों को बढ़ाने का फैसला किया था।
आरबीआई के मास्टर निर्देशों के अनुसार, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अपनाए जाने वाले वित्तीय राहत उपायों में मौजूदा ऋणों का पुनर्गठन या पुनर्निर्धारण शामिल है। इसके लिए एक वर्ष की मोहलत और नए ऋणों का प्रावधान होगा।
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