प्रयागराज में छात्रों के आंदोलन की असली वजह क्या है, नॉर्मलाइजेशन और शिफ्ट पर विवाद क्यों था?

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रस्तावित पीसीएस और आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने को लेकर छात्र आंदोलन कर रहे थे। आयोग ने छात्रों की बात मान ली है और अब पीसीएस प्री परीक्षा एक ही दिन और एक ही पाली में होगी। छात्र परीक्षा में लागू होने वाले नॉर्मलाइजेशन फार्मूले के खिलाफ भी थे। आइये जानते हैं कि पूरा विवाद क्या है?

Nov 15, 2024 - 01:00
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प्रयागराज में छात्रों के आंदोलन की असली वजह क्या है, नॉर्मलाइजेशन और शिफ्ट पर विवाद क्यों था?

प्रयागराज (आरएनआई) उत्तर प्रदेश पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा अब एक दिन, एक शिफ्ट में होगी। वहीं आरओ-एआरओ परीक्षा की रूपरेखा तय करने के लिए एक समिति बनाने का निर्णय लिया गया है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रदर्शनकारी छात्रों की बात मान ली है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र बीते चार दिन से प्रयागराज में प्रदर्शन कर रहे थे। आंदोलनकारी छात्र उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी यूपीपीएससी की ओर से प्रस्तावित पीसीएस और आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने के फैसले का विरोध कर रहे थे। इसके अलावा छात्र परीक्षा में लागू होने वाले नॉर्मलाइजेशन फार्मूले के खिलाफ भी थे। आइये जानते हैं कि पूरा विवाद क्या है?

दरअसल, 12 जनवरी 2024 को यूपीपीएससी ने एक वार्षिक कैलेंडर जारी किया। इस कैलेंडर में उन सभी परीक्षाओं की तारीख का जिक्र था जो परीक्षाएं राज्य का सबसे प्रतिष्ठित चयन आयोग आयोजित करता है। इसके मुताबिक समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी यानी आरो-एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा की तिथि 11 फरवरी थी। वहीं, 28 जुलाई को मुख्य परीक्षा होनी थी। इसी तरह पीसीएस 2024 की प्रारंभिक परीक्षा की तारीख 17 मार्च थी। जबकि पीसीएस की मेन्स परीक्षा की 7 जुलाई तय की गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीसीएस की परीक्षाएं स्थगित हो गईं।
 
वहीं, समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की परीक्षा 11 फरवरी को हुई, लेकिन परीक्षा के दौरान ही खबर आई कि कुछ छात्रों के पास पहले से ही परीक्षा का प्रश्न पत्र था। यानी, पेपर लीक हो गया। मामले में STF की जांच बैठी। 2 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि 11 फरवरी को हुई परीक्षा को रद्द किया जाए और छह महीने में परीक्षा दोबारा आयोजित कराई जाए।

इसके बाद 3 जून को एक नया नोटिफिकेशन जारी होता है। इसमें घोषणा की गई कि पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 27 अक्टूबर को होगी। जबकि, समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा 22 दिसंबर को आयोजित की जाएगी, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। दोनों परीक्षाओं की तारीख फिर बदल दी गई। 

बीते 5 नवंबर को UPPSC ने एक बार फिर दोनों परीक्षाओं के लिए नए नोटिफिकेशन जारी कर दिए गए। आयोग की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार, पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को प्रदेश के 41 जिलों में आयोजित होनी थी। परीक्षा दो सत्रों में आयोजित कराई जानी थी, जिसमें पहले सत्र की परीक्षा सुबह 9.30 से 11.30 बजे तक और दूसरे सत्र की परीक्षा दोपहर 2.30 बजे से शुरू होनी थी। 

इसी तरह आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 22 और 23 दिसंबर को किया जाना था। दोनों दिनों को मिलाकर परीक्षा का आयोजन कुल तीन पालियों में किया जाना था। तीसरी पाली की परीक्षा का आयोजन 23 दिसंबर को किया जाना था। 22 दिसंबर को प्रथम पाली सुबह 09:00 से 12:00 बजे, द्वितीय पाली दोपहर 02:30 से 05:30 बजे तक तथा 23 दिसंबर को तृतीय पाली की परीक्षा 09:00 से 12:00 बजे तक होनी थी।

यानी, अब तक जो परीक्षा एक दिन में होनी थी उसे आयोग ने एक से अधिक दिन और पालियों में आयोजित करने का एलान कर दिया था। चूंकि परीक्षा अलग-अलग पालियों में होनी थी इसलिए आयोग ने घोषणा की कि इन भर्ती परीक्षाओं में मूल्यांकन के लिए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए आयोग ने मूल्यांकन फॉर्मूला भी जारी कर दिया था। 

एक से अधिक पाली में परीक्षा के आयोजन और नॉर्मलाइजेशन लागू करने के निर्णय के विरोध में छात्र सड़क पर उतर आए। छात्रों ने मांग की कि परीक्षा को एक दिन, एक शिफ्ट में आयोजित की, जिससे मूल्यांकन के लिए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला लागू न करना पड़े। आयोग के निर्णय के खिलाफ अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया पर हैशटैग अभियान चलाकर विरोध शुरू कर दिया। एक्स पर ‘हैशटैग यूपीपीएससी आरओ/एआरओ वनशिफ्ट’ नाम से चलाए गए अभियान को ढाई लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने अपना समर्थन दिया। छात्रों का कहना था कि दो पालियों में परीक्षा कराए जाने से उन्हें नॉर्मलाइजेशन का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। हालांकि, आयोग नकल और निष्पक्ष परीक्षा कराने के लिए दो दिन और दो पालियों में परीक्षा कराने की बात कह रहा था।  

सोशल कैंपेन का असर नहीं होने पर छात्रों की मांग पूरी नहीं की गई और आयोग ने परीक्षा तिथि की घोषणा की, जिसे देखने के बाद छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। अभ्यर्थी अपनी मांगों को मनवाने के लिए 11 नवंबर को सड़क पर उतर गए। अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। अगले दिन पुलिस ने सरकारी बैरियर और कोचिंग का बोर्ड तोड़ने के आरोप में 12 लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली। इनमें से दो नामजद व अन्य अज्ञात आरोपी बनाए गए। उधर, माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने पर 10 को हिरासत में लेकर देर रात तक पूछताछ की जाती रही। छात्रों पर पुलिस ने आरोप लगाया कि ये लोग अराजकता फैलाकर छात्रों को उकसाने व आंदोलन को उग्र रूप देने का प्रयास कर रहे थे। पूछताछ के बाद तीन छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद आंदोलन और तेज हो गया। गुरुवार सुबह से राज्य लोक सेवा आयोग के दफ्तर के बाहर हंगामा होता रहा। आखिरकार दोपहर बाद आयोग ने एक से अधिक शिफ्ट में परीक्षा कराने का फैसला वापस ले लिया। 

मुख्यमंत्री के दखल के बाद चार दिन से जारी गतिरोध फिलहाल खत्म होता दिख रहा है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा एक दिन में कराई जाएगी। वहीं, समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा के लिए एक कमेटी बनाए जाएगी। ये कमेटी सभी पहलुओं का अध्ययन करके जल्द एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद परीक्षा को लेकर फैसला किया जाएगा। 

आयोग के मुताबिक यूपीपीएससी को पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 के लिए प्रदेश के 75 जिलों में 1758 केंद्रों की जरूरत थी लेकिन आयोग को 55 फीसदी ही योग्य केंद्र मिल सके। पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 के लिए 576154 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं और आयोग को जिलाधिकारियों के माध्यम से मानक के अनुसार 978 परीक्षा केंद्रों की ही सहमति प्राप्त हुई, जिनमें 435074 अभ्यर्थियों की ही परीक्षा कराई जा सकती है।

आरओ/एआरओ परीक्षा में तो 1076004 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं, जिनकी संख्या पीसीएस परीक्षा के मुकाबले कहीं अधिक है। शासनादेश के अनुसार ऐसे परीक्षा केंद्र न बनाएं जाएं जो प्राइवेट या अधोमानक हों। शासनादेश के अनुसार कलेक्ट्रेट/कोषागार से 20 किमी की परिधि तक परीक्षा केंद्रों के विस्तार की कोशिश की गई। विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों मेडिकल कॉलेजों, इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी शामिल करने की कोशिश की गई लेकिन पर्याप्त संख्या में केंद्र नहीं मिल सके।

आयोग का कहना था कि हर संभव प्रयास करने के बावजूद पर्याप्त संख्याा में परीक्षा केंद्र उपलब्ध न होने के कारण एक से अधिक दिनों में परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया और इन परिस्थितियों में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को अपनाया गया, जिसे सिविल अपील उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य बनाम अतुल कुमार द्विवेदी व अन्य में 7 जनवरी 2024 को पारित उच्चतम न्यायालय के निर्णय में उचित माना गया है।

इन सबके बीच में बड़ा सवाल यह है जो आयोग 5 नवंबर को सिर्फ पीसीएस की परीक्षा के लिए सिर्फ 55 फीसदी परीक्षा केंद्र योग्य होने की बात कर रहा था वो अब एक दिन में परीक्षा का आयोजन कैसे करेगा? परीक्षा की शुचिता को बरकरार रखने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे? 

इस फॉर्मूले के अनुसार, किसी उम्मीदवार का प्रतिशत स्कोर जानने के लिए उसके द्वारा हासिल किए अंको के बराबर या उससे कम अंक हासिल करने वाले सभी उम्मीदवारों की संख्या और उस शिफ्ट में उपस्थित कुल उम्मीदवारों की कुल संख्या के भागफल को 100 से गुणा किया जाता है। आयोग ने कहा है कि उम्मीदवारों के प्रतिशत स्कोर दशमलव के बाद छह अंको (00.000000%) तक हो सकते हैं। सवाल ये उठता है कि इसकी जरूरत क्यों होती है? दरअसल, अलग-अलग पालियों में परीक्षा होने पर प्रश्न पत्र अलग-अलग होते हैं। ऐसे में किसी परीक्षार्थी को आसान प्रश्न पत्र मिल सकता है तो किसी को मुश्किल प्रश्न पत्र। ऐसे में मुश्किल प्रश्न पत्र वाले छात्रों को कम अंक की वजह से नुकसान नहीं हो उसकी भरपाई के लिए नॉर्मलाइजेशन की यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।  

एक से अधिक पालियों में परीक्षा कराए जाने की दशा में आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना आदि प्रदेशों के राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा भी नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस प्रक्रिया को लेकर किसी भी तरह का भ्रम न रहे, सो यूपीपीएससी ने पहली बार विज्ञप्ति के माध्यम से इसे सार्वजनिक किया है।

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