प्रभारी अधिकारी आपदा ने भूकम्प से बचाव हेतु क्या करें, क्या न करें के बारे में एडवाईजरी जारी कर बताया
हाथरस । प्रभारी अधिकारी आपदा ने भूकम्प से बचाव हेतु क्या करें, क्या न करें के बारे में एडवाईजरी जारी करते हुए बताया है कि-
भूकंप- भूकम्प एक प्राकृतिक घटना है भूकंप का जन्म-टेक्टोनिक प्लेटांे में खिचाव एवं टकराव के कारण, ज्वालामुखी एवं लावा पिघलने के कारण, महाद्वीपीय में खिचाव के कारण, माइनिंग टेस्टिंग एवं न्यूक्लियर टेस्टिंग के कारण होता है, कभी-कभी पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा निकलने के कारण भी भूकम्प की तरंगे उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कम्पित करती हैं। इससे जान-माल की क्षति, आधारभूत संरचनाओं जैसे पुल, रेल की पटरियाँ, भवन आदि की क्षति होती है। भूकम्प के कारण सुनामी, भू-स्खलन, बाढ़, आग लगना आदि जैसी आकस्मिक दुघर्टनाएँ भी हो सकती हैं। भूकम्प भौगोलिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश सिस्मिक जोन- IV, III, & II में आता हैं। भूकम्प को आने से रोका नही जा सकता लेकिन खतरों की पहचान कर, सुरक्षित संरचनाओं का निर्माण कर और भूकम्प सुरक्षा पर शिक्षा प्रदान करके, इसके दुष्प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
भूकंप से पहले करेंः- परिवार के सदस्यों व विद्यार्थियों के साथ भूकंप से बचाव के उपायों के संबंध में चर्चा करें। इमारतों की दरारों या क्षतिग्रस्त हिस्सों की तुरंत मरम्मत करायंे। दीवार या छत पर भारी वस्तुओं को लटकाने से बचें। कांच एवं भारी सामान को जमीन या निचली रैक में रखें। अपने घर के पास खुले स्थान की पहचान करें जहाँ भूकम्प की स्थिति में घर से निकल कर सुरक्षित एकत्रित हो सकें और लोगों को इसके बारे में जानकारी भी दें। आपातकालीन किट तैयार करें (जिसमे टॉर्च, सूखा भोजन, महत्वपूर्ण दस्तावेज और संपर्क नंबर हों) और परिवार के सभी सदस्यों को इसके बारे में जानकारी दें। गमलों को छत की रेलिंग पर न रखें।
भूकंप के दौरान क्या करेंः- भूकंप के दौरान जितना संभव हो उतना सुरक्षित रहें। पूर्व-चेतावनी देने वाले भूकंप के हल्के झटके ही होते हैं जो बाद में बड़े भूकंप के रुप में जन्म ले सकते हैं, जिनसे जान-माल का नुकसान हो सकता है। भूकम्प के समय अलमीरा, लंबी और भारी वस्तुओं से दूर रहें एवं खुले मैदान में जाएँ। यदि आप घर के अंदर हैं, तो टेबल, बेड के नीचे चले जाएं या घर में कॉलम (पिलर) के समीप खड़े हो जाएँ। किसी हिस्से के नीचे शरण लें अथवा तब तक मजबूती से पकड़कर बैठे रहें जब तक कि भूकंप के झटके न रुक जाएं। ज्यादातर चोटें तब लगती है जब आप कमजोर इमारतों में शरण ले रहें है अथवा भवन के अंदर मौजूद लोग किसी दूसरी जगह अथवा बाहर जाने का प्रयास करते हैं कांच के दरवाजों एवं खिड़कियों से दूर रहें। जर्जर घरों में आश्रय न लें और बिजली के खंभों, ऊँची इमारतों तथा पुराने पेड़ों और हाईटेंशन तारों से दूर रहें। गर्भवती महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, और दिव्यांग लोगों की मदद करें। सभी पालतू जानवरों को खोल दंे ताकि वे बाहर भाग सकें। गैस और लाइट बंद कर दें।
भूकंप के बाद क्या करेंः- भूकम्प के झटके रुकने के तुरंत बाद इमारत में प्रवेश न करें क्योंकि दूसरा झटका आ सकता है। इसलिए कुछ देर खुले स्थान पर ही रहें। सरकार की ओर से जारी महत्वपूर्ण सूचनाओं एवं घोषणाओं के लिए रेडियो/टीवी/मोबाइल एसएमएस देखें। अफवाह न फैलाएं और न ही उन पर विश्वास करें। घायल लोगों की मदद करें, क्षतिग्रस्त घरों में प्रवेश न करें।
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