प्रतिस्पर्धी गंतव्य बनने के लिए कई बदलावों से गुजरा पूर्वोत्तर
केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कनेक्टिविटी क्षेत्र में व्यापार, प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के विकास को रोक रही थी, लेकिन पिछले नौ वर्षों के दौरान भौतिक और तकनीकी कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया गया।
गुवाहटी (आरएनआई) केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र निवेश के लिए एक प्रतिस्पर्धी गंतव्य बनने के लिए नाटकीय बदलावों से गुजरा है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में कनेक्टिविटी एक मुद्दा था, लेकिन यह पूरी तरह से बदल गया है। अब कोई भी देश के किसी भी हिस्से से पूर्वोत्तर के किसी भी राज्य तक तुरंत पहुंच सकता है, जिससे क्षेत्र के लिए संभावित अवसरों के मामले में एक बड़ा बदलाव आएगा।
कनेक्टिविटी क्षेत्र में व्यापार, प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के विकास को रोक रही थी, लेकिन पिछले नौ वर्षों के दौरान भौतिक और तकनीकी कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि अब अगला कदम आर्थिक विस्तार सुनिश्चित करना और जीएसडीपी को दोहरे अंकों में बढ़ाना है। सभी पूर्वोत्तर राज्यों की संयुक्त जीएसडीपी देश की जीडीपी का केवल आठ प्रतिशत है।
आर्थिक विकास का अगला चरण नौकरियां पैदा करना है, जिसके लिए कौशल रणनीति की जरूरत है। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि हम अधिक निवेश कैसे प्राप्त करें और हम अर्थव्यवस्था को कैसे बढ़ाएं।
केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि इन प्रश्नों का उत्तर यह है कि हमें अधिक से अधिक कुशल उद्यमियों और कर्मचारियों की आवश्यकता है, जो न केवल देश के अन्य हिस्सों में बल्कि दुनियाभर में उत्पाद पहुंचाने में सक्षम हों। उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ इसलिए ही पूर्वोत्तर भारत के भविष्य के विकास और क्षमता के लिए कौशल सबसे महत्वपूर्ण विषय है।
अगले 10 से 12 महीनों में हम पूर्वोत्तर में 2.5 लाख विश्व स्तरीय प्रतिभाशाली कार्यबल तैयार करना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि इससे अधिक निवेश को प्रोत्साहित करके क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पूरी क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था बदल जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने का हमेशा कहना है कि जैसे-जैसे भारत बढ़ रहा है और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, हम इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, विनिर्माण और सभी प्रकार के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित कर रहे हैं। यदि कोई राज्य या क्षेत्र इससे लाभ उठाना चाहता है तो उनके पास एक प्रतिभाशाली और कुशल कार्यबल होना चाहिए।
केंद्र सरकार द्वारा आठ अगस्त को निर्णय लिया था कि पूर्वोत्तर में 2.5 लाख छात्रों को 400 करोड़ रुपये की लागत से कुशल बनाया जाएगा, जिसका वहन केंद्र द्वारा किया जाएगा।
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