पॉक्सो व SC-ST एक्ट में झूठे केस पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को सशर्त अग्रिम जमानत पर 50 हजार रुपये के निजी मुचलके व दो प्रतिभूति लेकर गिरफ्तारी के समय रिहा करने का भी आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने आजमगढ़, फूलपुर के अजय यादव की अग्रिम जमानत अर्जी को निस्तारित करते हुए दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पॉक्सो व एससी-एसटी एक्ट के तहत कुछ झूठी एफआईआर दर्ज होती है। यह आरोपी को समाज में बेइज्जत करने और सरकार से मुआवजा लेने के लिए किया जाता है। कोर्ट ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ महिलाएं इस कानून का इस्तेमाल पैसे वसूलने के लिए कर रहीं हैं। इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस संवेदनशील मामले में केस झूठा पाए जाने पर जांच के बाद पीड़िता के खिलाफ धारा 344 की कार्यवाही करें। सरकार से लिए गए मुआवजे की वसूली की जाए।
कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को सशर्त अग्रिम जमानत पर 50 हजार रुपये के निजी मुचलके व दो प्रतिभूति लेकर गिरफ्तारी के समय रिहा करने का भी आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने आजमगढ़, फूलपुर के अजय यादव की अग्रिम जमानत अर्जी को निस्तारित करते हुए दिया है।
याची का कहना था कि कोई घटना हुई ही नहीं। आठ साल पहले नाबालिग पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई। प्राथमिकी व 161 के बयान में विरोधाभास था। एफआईआर में कहा गया कि 2012 में शारीरिक संबंध बनाए गए। सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दिए बयान में कहा कि वर्ष 2013 में शारीरिक संबंध बनाए गए। एफआईआर 11 मार्च 2019 को दर्ज कराई गई। 28 मार्च 2019 को मेडिकल जांच में पीड़िता की आयु 18 वर्ष बताई गई।
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