पूर्व सीजेआई पर आरोप लगाने वाले को पीठ ने अदालत से बाहर निकाला
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 30 सितंबर को पूर्व सीजेआई के खिलाफ जांच की मांग वाली दलीलों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता से जज का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने को कहा था। मंगलवार को जब सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने पूर्व सीजेआई का नाम लिया तो पीठ नाराज हो गई।
नई दिल्ली (आरएनआई) पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई पर आरोप लगाए जाने से नाराज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने अरुण रामचंद्र हुबलीकर की याचिका खारिज कर दी और सुरक्षा कर्मियों को उन्हें अदालत कक्ष से बाहर निकालने का आदेश दिया। अरुण ने सेवा से अपनी अवैध बर्खास्तगी के खिलाफ याचिका दायर की, साथ ही सेवा विवाद में पहले एक याचिका को खारिज करने के लिए पूर्व सीजेआई के खिलाफ इन-हाउस जांच की मांग की।
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 30 सितंबर को पूर्व सीजेआई के खिलाफ जांच की मांग वाली दलीलों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता से जज का नाम पक्षकारों की सूची से हटाने को कहा था। मंगलवार को जब सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने पूर्व सीजेआई का नाम लिया तो पीठ नाराज हो गई। पीठ ने कहा, हम आप पर जुर्माना लगाने जा रहे हैं। किसी भी जज का नाम न लें। आपके मामले में कुछ भी नहीं है। इस पर वादी ने कहा, आप यह कैसे कह सकते हैं कि मेरे मामले में कुछ भी नहीं है। यह कैसे कहा जा सकता है...यह मेरे खिलाफ अन्याय है। कम से कम मुझे मरने से पहले न्याय तो मिलना चाहिए।
सीजेआई ने इससे पहले 30 सितंबर को इस मामले में कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि आप एक न्यायाधीश को प्रतिवादी बनाकर जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? कुछ गरिमा होनी चाहिए। आप एक जज के खिलाफ इन-हाउस की मांग नहीं कर सकते। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।
हुबलीकर के पूर्व सीजेआई का नाम पक्षों की सूची से हटाने का आश्वासन देने के बाद सीजेआई ने याचिका को मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया था। पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर, 2019 को सेवानिवृत्त हुए थे।
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