पीठासीन अधिकारी के निशान लगाए मतपत्रों को खुद जांचेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले रविवार रात को भाजपा मेयर मनोज सोनकर ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए। अब भाजपा के पास 18 वोट हो गए हैं। पिछली बार अकाली पार्षद हरदीप सिंह ने भी भाजपा को वोट दिया था। ऐसे में भाजपा के पास बहुमत का जादुई आंकड़ा 19 है। अब अगर सुप्रीम कोर्ट दोबारा चुनाव कराने के आदेश जारी करता है तो भाजपा की जीत तय है।
चंडीगढ़ (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट चंडीगढ़ मेयर चुनाव में मसीह द्वारा निशान लगाए गए बैलेट पेपर की जांच खुद करेगा। कोर्ट मामले की वीडियो फुटेज भी जांचेगा। कोर्ट ने कहा कि पीठासीन अधिकारी ने नियमों का पालन नहीं किया। उनके लगाए निशान को नजरअंदाज कर कल यानी मंगलवार को वोटों की गिनती की जाएगी। इसके बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मेयर चुनाव दोबारा नहीं होगा।
मेयर चुनाव के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर सुप्रीम कोर्ट ने आज भी कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि वह चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे थे।
मेयर चुनाव को लेकर जिस तरह से पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सख्त रुख अपनाया था। 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में प्रशासन की ओर से नियुक्त पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ पार्षदों के वोट को अवैध करार दिया था, जिसके बाद भाजपा के मनोज सोनकर को मेयर बनाया गया। लेकिन आम आदमी पार्टी के पार्षद व मेयर उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने इसे चुनौती देते हुए पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
पीठासीन अधिकारी की एक वीडियो भी वायरल हुई थी, जिसमें वह कथित रूप से अवैध करार दिए पार्षदों के वोटों पर निशान लगाते दिखाई दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चंडीगढ़ प्रशासन को फटकार लगाई थी और मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को रखी गई थी।
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