पीओके में लोगों ने मांगा अपना हक तो मिले आंसू गैस के गोले, जनजीवन और कारोबार ठप
पुलिस कार्रवाई के विरोध में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में हड़ताल के दौरान व्यवसाय और सामान्य जीवन ठप हुआ है। हिंसा भड़कने के बाद मीरपुर, आजाद जम्मू एवं कश्मीर (एजेके) में बाजार, स्कूल और कार्यालय लगातार दूसरे दिन बंद रहे।
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इस्लामाबाद (आरएनआई) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आम लोगों ने बगावत कर दी है। कई मुद्दों को लेकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। बिगड़ते हालात को देखकर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर जमकर लाठी और आंसू गैस के गोले बरसाए। शनिवार को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़पों के बाद जनजीवन प्रभावित हुआ है।
पुलिस कार्रवाई के विरोध में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में हड़ताल के दौरान व्यवसाय और सामान्य जीवन ठप हुआ है। हिंसा भड़कने के बाद मीरपुर, आजाद जम्मू एवं कश्मीर में बाजार, स्कूल और कार्यालय लगातार दूसरे दिन बंद रहे।
अब सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में लोग सड़कों पर उतरने के लिए क्यों मजबूर हुए? ऐसा क्या हुआ कि उन्हें हड़ताल करनी पड़ रही है? दरअसल, यहां के लोग इसलिए सड़कों पर उतरे क्योंकि पाकिस्तान की सरकार के फैसलों से तंग आ चुके हैं। जिस पीओके में कई पनबिजली परियोजनाएं हैं, उसे ही बिजली नहीं मिल रही। उसकी बिजली पाकिस्तान के दूसरे अलग-अलग शहरों में भेजी जा रही है। वहीं बढ़ती महंगाई ने सारी हदें पार कर दी हैं।
प्रदर्शन की वजह बढ़ती महंगाई और बिजली बिल में किया गया इजाफा है। पाकिस्तान सरकार ने बिजली बिल में सब्सिडी खत्म कर दी है। ऐसा उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाले कर्ज की शर्त को पूरा करने के लिए किया है। आर्थिक बदहाली झेल रहे पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था बचाने के लिए आईएमएफ के लोन का ही सहारा है, लेकिन आईएमएफ ने लोन देने के लिए जो शर्तें रखी हैं उनमें सरकार को अपने खर्च करने के तौर तरीके को सुधारने की शर्त भी है। सब्सिडी पर बड़ी रकम खर्च होती है इसलिए पाकिस्तान की सरकार ने उसे खत्म करने का फैसला किया है। इससे बिजली की दर काफी ज्यादा बढ़ गई है।
टैक्स, महंगाई और बिजली की किल्लत जैसे मुद्दों को लेकर शुक्रवार को एएसी ने एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आह्वान किया था। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, हिंसा तब भड़की जब पुलिस ने लोगों के घरों और मस्जिदों के आसपास आंसू गैस के गोले बरसाए। इसके चलते पीओके के कई हिस्सों जैसे सामनी, सेहांसा, मीरपुर, रावलकोट, खुइरत्ता, तत्तापानी और हट्टियन बाला में हिंसा भड़क गई। रिपोर्ट के अनुसार, एएसी का कहना है कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस कार्रवाई करके अच्छा नहीं किया। कमेटी ने विरोध प्रदर्शन और तेज करने की कसम खाई है।
शुक्रवार को अवामी एक्शन कमेटी ने बिजली बिलों पर लगाए गए 'टैक्स के विरोध में पीओके के मुजफ्फराबाद तक शांतिपूर्ण मार्च का नेतृत्व किया। विरोध प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गया जब इस्लाम गढ़ के पास प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। एएसी ने मुजफ्फराबाद में बंद और व्हील-जाम विरोध का आह्वान किया, जिससे व्यापार ठप हो गया। पुलिस ने मार्च करने वालों को रोकने के लिए शहर की ओर जाने वाली सड़कों पर बैरिकेड लगा दिए, जिसके कारण झड़पें हुईं। समिति ने बाद में शनिवार को हड़ताल का आह्वान किया जब पुलिस ने रात भर की छापेमारी के दौरान कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया।
पीओके सरकार ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी और 10 एवं 11 मई को शैक्षणिक संस्थानों और दफ्तरों को बंद कर दिया जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के सभी जिलों में शनिवार को हजारों की संख्या में लोग घरों से बाहर आए।
सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरों में पुलिस प्रदर्शनकारियों पर अपने लाठीचार्ज का इस्तेमाल करते हुए दिखाई दे रही है। यह भी देखा जा सकता है कि पुलिस आंसू गैस का उपयोग करके भीड़ को तितर-बितर करने का प्रयास कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, हिंसक झड़पों में दर्जनों पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हो गए।
पीओके कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा कि पाकिस्तानी बल निहत्थे नागरिकों पर गोली चला रहे हैं और झड़पों में कम से कम दो लोग मारे गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा में एक पुलिस एसएचओ को कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों ने पीट-पीटकर मार डाला। मिर्जा ने भारत सरकार से हस्तक्षेप करने का आह्वान करते हुए कहा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है। इस मामले से केंद्र अलग नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि भारत को अब अपना सारा ध्यान पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित करना चाहिए और गिलगित-बाल्टिस्तान सहित इस कब्जे वाले क्षेत्र की स्वतंत्रता में मदद करनी चाहिए।
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