पीएम मोदी ने नारी शक्ति वंदन बिल पेश किए जाने का एलान
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस विधेयक को सदन के पटल पर रखेंगे। सूत्रों के अनुसार, विधेयक कल यानी 20 सितंबर को लोकसभा से चर्चा के बाद पास हो सकता है। वहीं 21 सितंबर को विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली। (आरएनआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नए संसद भवन में पहले कानून को पेश करने का एलान किया उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश करने जा रही है। पीएम मोदी ने इसके लिए विपक्षी दलों से सहयोग मांगा और कहा कि 19 सितंबर का ये दिन इतिहास में अमर होने वाला दिन है।
देश की विकास यात्रा में ऐसे मील के पत्थर आते हैं, जब वह गर्व से कहता है कि आज के दिन हम सभी ने नया इतिहास रचा है। ऐसे कुछ पल जीवन में प्राप्त होते हैं। नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में मैं विश्वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज का यह पल और आज का यह दिवस संवत्सरी और गणेश चतुर्थी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए इतिहास में नाम दर्ज करने वाला समय है। हम सभी के लिए यह पल गर्व का है। अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ। अटलजी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उस कारण से वह सपना अधूरा रह गया।
महिलाओं को अधिकार देने, उन्हें शक्ति देने जैसे पवित्र कामों के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है। एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई है। आज 19 सितंबर की यह तारीख इसीलिए इतिहास में अमृत्व को प्राप्त करने जा रही है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, नेतृत्व कर रही हैं तो बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी माताएं-बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें। योगदान ही नहीं, महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएं। आज इस ऐतिहासिक मौके पर नए संसद भवन में सदन की पहली कार्यवाही के अवसर पर देश के इस नए बदलाव का आह्वान किया है।
देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं। महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इस उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इस माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित हैं।
स्पेस हो या स्पोर्ट्स हो, दुनिया महिलाओं की ताकत देख रही है। जी20 में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की चर्चा हुई। दुनिया इसका स्वागत कर रही है, स्वीकार कर रही है। दुनिया समझ रही है कि सिर्फ महिलाओं की विकास की बात पर्याप्त नहीं है। हमें मानव जाति की विकास यात्रा में नए पड़ावों को अगर प्राप्त करना है, राष्ट्र की विकास यात्रा में नई मंजिलों को पाना है तो महिलाओं के नेतृत्व में विकास को बल दें। जी20 में भारत की बात को विश्व ने स्वीकार किया है।
महिला सशक्तीकरण की हमारी हर योजना ने महिलाओं को नेतृत्व देने की दिशा में बहुत सार्थक कदम उठाए हैं। आर्थिक समावेश को ध्यान में रखते हुए जनधन योजना शुरू की। 50 करोड़ में अधिकतर महिलाएं खाताधारक बनीं। मुद्रा योजना में 10 लाख रुपये का कर्ज दिया जाता है, उसका सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं ने उठाया। प्रधानमंत्री आवास योजना में पक्के घरों की ज्यादातर रजिस्ट्री महिलाओं के नाम हुई।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस विधेयक को सदन के पटल पर रखेंगे। सूत्रों के अनुसार, विधेयक कल यानी 20 सितंबर को लोकसभा से चर्चा के बाद पास हो सकता है। वहीं 21 सितंबर को विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। पीएम मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रीमंडल ने इस संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के तहत महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में आरक्षण दिया जाएगा।
महिला आरक्षण विधेयक 2010 में लाए गए विधेयक से अलग होगा और इसमें संसद और विधानसभाओं से आगे अन्य निकायों में भी महिलाओं को आरक्षण देने का प्रावधान हो सकता है। ऐसी चर्चा है कि महिला आरक्षण में रोटेशन के आधार पर एक तिहाई सीटों पर महिलाओं को आरक्षण दिया जा सकता है। बता दें कि साल 1996 से ही महिलाओं को संसद में आरक्षण देने की मांग की जा रही है लेकिन अभी तक ये प्रयास सफल नहीं हो सके हैं। साल 2010 में यूपीए सरकार में भी महिला आरक्षण विधेयक संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में पेश किया गया था। वहां से विधेयक पास भी हो गया था लेकिन सहयोगी पार्टियों को दबाव के चलते यह विधेयक लोकसभा में नहीं लाया जा सका।
संसद में एनडीए के बहुमत को देखते हुए इस बार महिला आरक्षण विधेयक के आसानी से पास होने की उम्मीद की जा रही है। विधेयक के तहत महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटों पर आरक्षण दिया जा सकता है। आम तौर पर कैबिनेट की बैठक बुधवार को होती है लेकिन इस बार यह सोमवार शाम में हुई। बैठक करीब डेढ़ घंटे चली लेकिन बैठक में क्या फैसले हुए, इसे लेकर कोई आधिकारिक एलान नहीं किया गया।
महिला आरक्षण विधेयक को लेकर विपक्षी गठबंधन में भी मतभेद उभर सकते हैं। दरअसल इसकी वजह ये है कि कुछ विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि महिला आरक्षण विधेयक में एससी/एसटी और ओबीसी समुदाय के लिए विशेष आरक्षण की मांग कर रही हैं। वहीं कांग्रेस ने जो 2010 में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया था, उसमें किसी उप-आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया था। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि नए विधेयक पर विपक्षी पार्टियां कैसी प्रतिक्रिया दे रही हैं।
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