'पीएम मोदी कहते थे कि एक अकेला सब पर भारी और अब...', राज्यसभा में खरगे का भाजपा पर तंज
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने शुरू में किसी भी पेपर लीक से इनकार किया, फिर बाद में उन्होंने स्पष्टीकरण दिया और स्वीकार किया कि अनियमितताएं हुईं।
नई दिल्ली (आरएनआई) दो दिन के अवकाश के बाद सोमवार को फिर से लोकसभा और राज्यसभा का सत्र शुरू हुआ। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, नीट और अग्निपथ जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ भाजपा को घेरा। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत को शर्मिंदा किया है।
राज्यसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान खरगे ने कहा, 'पीएम मोदी ने भारत को शर्मिंदा किया है। वे हमेशा घमंडिया गठबंधन कहते थे, वे कहते थे कि मोदी है तो कुछ भी संभव है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा का अहंकार टूट गया है।
खरगे ने चुनावी रैलियों में धन के पुनर्वितरण, मंगलसूत्र, आरक्षण और मुजरा समेत अन्य मुद्दों पर कांग्रेस के खिलाफ मोदी की टिप्पणी को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा।
उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'मोदी कहते थे कि एक अकेला सब पर भारी। पर आज एक अकेले पर कितने लोग भारी हैं। चुनाव ने दिखा दिया की देश का संविधान और जनता सब पर भारी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पेपर लीक से हजारों नीट उम्मीदवार प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि सरकार ने शुरू में किसी भी पेपर लीक से इनकार किया, फिर बाद में उन्होंने स्पष्टीकरण दिया और स्वीकार किया कि अनियमितताएं हुईं। विपक्ष के नेता ने अग्निपथ योजना को रद्द करने का भी आग्रह किया।
उन्होंने आगे कहा, 'राष्ट्रपति का कहना है कि हम मिलकर काम करेंगे। लेकिन शब्द केवल भाषण तक ही सीमित रहे हैं और कार्य में नहीं।' इसके साथ ही उन्होंने विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी और विपक्ष को चुप कराने के प्रयास में प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो सहित केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग को लेकर भी सरकार की आलोचना की।
उन्होंने कहा, 'इस चुनाव में देखा गया कि एक बड़ा मुद्दा संविधान की रक्षा करना है। भाजपा ने कहा कि वह संविधान में संशोधन करेगी। लेकिन चुनावों ने साबित कर दिया कि मुद्दे आते रहते हैं और चलते रहते हैं लेकिन संविधान फलेगा-फूलेगा, लोकतंत्र बचेगा, चुनाव होते रहेंगे और हम भी यहां रहेंगे।'
उन्होंने कहा कि आम लोगों ने इस लड़ाई में विपक्ष का साथ दिया। उन्होंने संविधान की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया।
नेता प्रतिपक्ष ने संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं की प्रतिमाओं को स्थानांतरित करने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'कोई बैठक या पूर्व परामर्श नहीं हुआ। यह ऐसे किया गया जैसे कि अधिनायकवादी शासन में हो।
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