18 दिन बाद भी पाली शाहाबाद मार्ग पर टूटी पुलिया पर वैकल्पिक व्यवस्था देने मे पीडब्ल्यूडी विभाग नाकाम

Aug 1, 2024 - 20:21
Aug 1, 2024 - 20:22
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हरदोई (आरएनआई)विकसित भारत की परिकल्पना संजोए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,व रामराज्य की परिकल्पना साकार करने में जुटे उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डबल इंजन की सरकार में भी लोगों को सुगम मार्ग उपलब्ध न हो सके तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है।अभी हाल ही में गर्रा नदी में आयी भंयकर बाढ़ के कारण पाली शाहाबाद मार्ग पर आगमपुर के पास पुलिया टूट गयी। पुलिया टूटे आज 18दिन होने को आये लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग पुलिया बनाना तो दूर की बात अभी तक मार्ग पर वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं दे सका है। जिससे आम आदमी व स्कूली बच्चे उस मार्ग से निकल सकते। गौरतलब है कि गत 26जुलाई को आरएनआई न्यूज के साथ साथ हरदोई के विभिन्न समाचार-पत्रों व अन्य माध्यमों ने इस जनसमस्या को प्रमुखता से उठाया।जिस पर 27जुलाई को कुम्भकरणी नींद से जागे पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीक्षण अभियंता सुमंत कुमार व क्षेत्रीय विधायक व उप्र सरकार में उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी मौके पर पहुची और पुलिया निर्माण के लिए कवायद शुरू हुई।27की रात में ही जनरेटर लगाकर पुलिया की टूटी छत हटाने का काम शुरू किया गया। लेकिन पुलिया की छत नहीं तोड़ी जा सकी।अगले दिन यह बताया गया कि लखनऊ से मशीन मगायी जायेगी। मशीन के इंतजार में एक दिन बेकार चला गया।अगले दिन जेसीबी मशीन से छत तोड़ी गयी।तब पता चला कि इसमें पैंटून पुल बनाकर आवागमन दुरूस्त कर दिया जायेगा।29को एक कैप्सूल लाकर सड़क किनारे डाल दिया गया।तब से आज तक कुल 4कैप्सूल ही आ सके।

पुलिया पर काम कर रहे पीडब्ल्यूडी के कार्मिक ने बताया कि अभी एक कैप्सूल और आयेगा उसके बाद वह टूटी पुलिया के गढ्ढे में डाला जायेगा। पैंटून पुल के ऊपर लगने वाले पलटा व एंगल अभी तक नहीं पहुंच सके हैं।ऐसे में पीडब्ल्यूडी विभाग जो किसी वीआईपी मूवमेंट की खबर पर रातोंरात सड़क बनाकर आल इज वेल कर देता वहीं विभाग आज 6दिन से काम करके तकरीबन 10मीटर टूटी सड़क पर वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं दे पा रहा है।ऐसे रह सवाल उठना तो लाजिमी है कि इस कछुआ चाल से चल रहे पीडब्ल्यूडी विभाग से विकसित भारत का सपना देखना कितना उचित है। लोकनिर्माण विभाग इस जन समस्या को लेकर कतई संजीदा दिखाई दे रहा है। जबकि विभाग के जेई व कार्मिक अपनी नंगी आंखों के सामने पानी कीचड में गिरते गिराते छात्र, महिलाओं, व आमजन व मरीज निकलने को मजबूर हैं। लेकिन विभाग के जेई व अन्य जिम्मेदारो को शायद इस समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। कैप्सूल लाने के लिए शायद पीडब्ल्यूडी विभाग के पास एक ही ट्रक है जिसके द्वारा दिन भर में एक कैप्सूल ही पहुंच पा रहा है।अगर पुलिया पर वैकल्पिक मार्ग का निर्माण इसी गति से होता रहा तो शायद भोले के भक्त सावन समाप्ति तक कांवर यात्रा नहीं निकाल पायेंगे।वहीं वैकल्पिक मार्ग निर्माण का इंतजार कर रहे छात्र छात्राओं को शायद आधे अगस्त तक स्कूल के दर्शन सम्भव नहीं हो पायेंगे।कार्य व व्यवस्था देखकर तो यही लगता है कि लोक निर्माण विभाग मे संसाधनों का भी टोटा बना हुआ है।

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Laxmi Kant Pathak Senior Journalist | State Secretary, U.P. Working Journalists Union (Regd.)