पांच साल पहले तीन नाबालिगों के मर्डर की आरोपी पूनम पक्का को तीनों केसों में उम्रकैद
गुना। अपने बेटे के साथ मिलकर उसके तीन नाबालिग दोस्तों की एक के बाद एक हत्या कर शव जलाने के सनसनीखेज अपराध के आरोपी पूनम दूबे उर्फ़ पक्का को कोर्ट ने तीनों हत्याओं का दोषी मानकर अलग अलग फैसला देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
साल 2017 के मई माह में पुलिस थाना केंट में सिंचाई विभाग में पदस्थ अंतरसिंह मीना ने अपने बेटे हेमंत मीना (17) की गुमशुदगी दर्ज कराई थी कि हेमंत 18 मई को रात 8 बजे उससे चालीस हजार रूपए लेकर सेकेंड हैंड मोटर साईकिल खरीदने की कहकर उसके दोस्त हनी दुबे के साथ घर से निकला था जो अभी तक नहीं आया है। अंतरसिंह की रिपोर्ट पर पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू की।
पुलिस शुरू में इसे सामान्य केस मानकर चली। तत्कालीन टीआई आशीष सप्रे ने हनी दुबे और उसकी मां पूर्णिमा अग्रवाल उर्फ़ पूनम दूबे उर्फ़ पक्का से पूछताछ के लिए थाने बुलाया तो हाईप्रोफाइल लोगों से संबंधों के लिए चर्चित पूनम पक्का के बचाव में कई लोगों के फोन घनघनाने लगे। इसी बीच पुलिस को जानकारी मिली कि हनी दुबे के दो दोस्त लोकेश लोधा और ऋतिक नामदेव भी लापता हैं।
सभी एंगल से जांच में जुटी पुलिस तक चौकन्नी हुई, जब हेमंत की फिरौती का फोन आया। दरअसल, हेमंत से उसके नाबालिग दोस्त हनी दुबे ने ही दगा की। मां पूनम और एक अन्य नाबालिग साथी की मदद से हेमंत से 40 हजार रुपये छीन लिए और उसकी गला और हाथ काटकर हत्या कर दी थी और सबूत मिटाने के लिए शव को जला दिया। इसके बाद पूनम ने उसके दोस्त लोकेश और ऋतिक को लालच दिया कि किसी को कुछ न बताना, फिरौती की रकम में से तुम्हारा भी हिस्सा रहेगा। मृतक हेमन्त का मोबाइल ऋतिक को दिया और उससे कहा कि गुना से दूर इंदौर जाकर अंतर सिंह को धमकी देना कि तुम्हारा बेटा हमारे कब्जे में हैं और उससे पचास लाख की फिरौती की बात करना। ताकि पुलिस का ध्यान गुना से हटकर इंदौर पर चला जाए। सबूत मिटाने और पुलिस तफ्तीश को भटकाने का आइडिया हत्यारों को सावधान इंडिया के शो से आया था। हनी दुबे को कोर्ट पहले ही आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है।
इंदौर जाकर ऋतिक ने हेमंत के फोन से 50 लाख की फिरौती मांगी तो पिता ने मैसेज से हां कर दी। पिता पुलिस के पास पहुंचा तो लोकेशन ट्रैस पर पुलिस उसे लेकर इंदौर पहुंच गई। इसी बीच ऋतिक और लोकेश गुना आ गए। ऋतिक और लोकेश इन तीनो से कहने लगा की हमे फिरौती में से अपना हिस्सा अभी चाहिए। नहीं तो सारी कहानी पुलिस को बता दूंगा। इसके बाद पूनम, उसका बेटा और एक अन्य दोस्त लोकेश को प्लानिंग के तहत एक्टिवा पर बिठाकर नेगमा के जंगल में ले गए। वहां लोकेश की भी हत्या कर उसके शव को जला दिया। चूंकि ऋतिक दो हत्याओं के बारे में जान चुका था, इसलिए उसे भी रास्ते से हटाने के लिए मार डाला।
इन तीन हत्याओं के केस के विवेचक रहे टीआई आशीष सप्रे के मुताबिक पूनम उसका बेटा हनी और नाबालिग दोस्त बेहद शातिर तरीके से पुलिस को गुमराह कर रहे थे। शुरू में लगा कि हत्याओं के पीछे लोकेश लोधा और ऋतिक का हाथ है, लेकिन जब ऋतिक की अध जली लाश पटेल नगर रेल्वे पुलिया के नीचे मिली और लाश के पर्स में पाटनीपुरा इंदौर का बस टिकट मिला। पुलिस को हेमन्त मीना के मोबाइल की लास्ट कॉल लोकेशन भी इंदौर के होने पर हेमंत मीना के अपहरण के केस में शामिल होने की शंका हुई तो वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में पूनम पक्का और हनी दुबे को संदिग्ध मानकर जांच को आगे बढ़ाया। सबसे पहले ऋतिक का शव मिला फिर पुलिस को पता चला कि हेमंत की भी हत्या की गई है। फिर लोकेश लोधा की हत्या का पता चला सभी शवों की अधजली हड्डियां व अन्य साक्ष्य भी बरामद कर लिए गए। इस बीच पूनम के केरेक्टर की पड़ताल की गई तो वह भी संदिग्ध लगी। टीआई आशीष सप्रे ने बताया कि ऋतिक का शव मिलने के बाद आरोपियों से कड़ाई से पूछताछ की गई तो इन लोगों ने तीनों की एक के बाद एक हत्या करना कबूल कर लिया। पूनम, उसके पुत्र हनी और नाबालिग दोस्त को आरोपी बनाया गया। इन्होंने कबूल किया कि हेमन्त जिस दिन लापता हुआ था, उसी दिन 40 हजार रुपए छीन लिए थे।
पुलिस पूछताछ में पूनम के बेटे हनी दुबे और उसके एक नाबालिग दोस्त के साथ हेमन्त को एक्टिवा से, बियर पिलाने के बहाने खेजरा रोङ किनारे पठरा पर ले जाकर बियर की बोतल से गला काट कर हत्या करने और हेमन्त की जेब में रखे 40 हजार रु, दो मोबाईल, पर्स, अंगुठी, कान की बाली, मोबाइल के बिल निकाल लेना कबूल किया। 18 हजार रूपए नाबालिग साथी को और 22 हजार रूपए घर जाकर अपनी मां पूनम को दे दिए।
दूसरे दिन वंदना कॉन्वेंट स्कूल के सामने वाले पेट्रोल पम्प से हनी ने अपने नाबालिग दोस्त के साथ जाकर दो लीटर पैट्रोल बोतल में खरीदा और घर से पूनम को साथ लेकर लाश वाले स्थान पर जाकर हेमन्त की पहचान छुपाने के लिये पैट्रोल डाल कर उसमें आग लगा दी।
इसके बाद हेमन्त की अधजली हड्डियों को तीनों ने अलग अलग जगह पर फेंक दिया। इसके बाद किसी को शक ना हो इसलिये तीनों ने लोकेश व रितिक को हेमन्त के अपहरण की झुठी कहानी बताकर हेमन्त का एक मोबाईल, सिम, 10 हजार रु देकर एवं और पैसे देने का लालच देकर इंदौर भेज दिया। हेमन्तपिता को गुमराह करने के लिये हेमन्त के फोन से उसके पिता को फोन लगवाकर 50 लाख रू क फिरौती की मांग कराई और फोन को इंदौर में ही फिकवा दिया। इंदौर से वापस आने पर जब रितिक और लोकेश ब्लैकमेल करने लगे तब इन दोनो को भी खतम करने की योजना बना ली। फिर 25 मई को हनी और उसका नाबालिग साथी एक्टिवा से लोकेश को पैसे दिलाने के बहाने नेगमा की और ले गए। रास्ते से नानाखेङी पेट्रोल पम्प पर लोकेश से कोल्ड्रिंक की खाली बाटल में 2 लीटर पेट्रोल मंगवाया फिर नेगमा के स्टाप डेम के पास ले जाकर खुकरियों से मारपीट कर हत्या कर दी। उसकी जेब से 32 सौ रु, आधार कार्ड, पर्स निकाल लिये थे। फिर शव को पेट्रोल डालकर आग लगा दी। इसके बाद 26 मई को रितिक को पैसे देने के बहाने बुलाकर एक्टिवा से नानाखेङी पेट्रोल पंप भेजकर उसी से 2 लीटर पेट्रोल मंगाया और साथ लेकर पटेल नगर रेलवे पुलिया के नीचें पहुचं गया। वहां नाबालिग दोस्त भी एक्टिवा से आ गया। जहां आरोपियों ने टावेल से गला दबाकर , सिर पर पत्थर पटक कर रितिक की हत्या कर दी और लाश पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी।
इस प्रकरण में तत्कालीन कैंट थाना प्रभारी आशीष सप्रे के नेतृत्व में पुलिस टीम में शामिल सदस्यों ने बारीकी से विवेचना की ओर कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक, परिस्थितजन्य और भौतिक साक्ष्य इकट्ठा कर आरोपियों को गिरफ्तार किया। पीड़ित पक्ष के फरियादी और गवाहों ने भी पुलिस विवेचना के दौरान सहायता की। साथ ही कोर्ट में भी निडर होकर गवाही दी। इस दौरान कोर्ट में शासन की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों ने अभियोजन की कहानी को पुख्ता तौर पर साबित करने में जिरह करते समय कोई कोताही नहीं बरती। जिसके चलते हनी दुबे के बाद आरोपी पूनम पक्का को भी आजीवन कारावास की सजा हुई।
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