पांच प्रतिशत चेक मीटर से पकड़ी जाएगी स्मार्ट मीटर की गलत रीडिंग
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के गलत बिल से परेशान उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। बिजली कंपनियों ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर बनाने वाली कंपनियों को हर 20 में से एक चेक मीटर लगाने के निर्देश दिए हैं। इससे उपभोक्ता नए मीटर की रीडिंग और बिलिंग का मिलान कर सकेंगे और यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उनका बिल सही है। यह कदम उपभोक्ताओं की विश्वसनीयता बढ़ाने में मदद करेगा।
लखनऊ (आरएनआई) स्मार्ट प्रीपेड मीटर के गलत बिल से परेशान उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देने की तैयारी है। अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर बनाने वाली कंपनियां पांच प्रतिशत चेक मीटर लगाएंगी।
बिजली कंपनियों ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर बनाने वाली कंपनियों को हर 20 में से एक चेक मीटर लगाने के निर्देश दिए हैं। उपभोक्ताओं के परिसर में लगे पांच प्रतिशत पुराने मीटर को ही चेक मीटर बनाया जाएगा, इससे उपभोक्ता नए मीटर के साथ चेक मीटर की रीडिंग और बिलिंग का मिलान कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि प्रदेश में लगे लगभग डेढ़ लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर में पांच प्रतिशत की सीमा तक अनिवार्य रूप से उसे चेक मीटर में न परिवर्तित किए जाने पर सवाल उठाया गया था।
परिषद ने कहा था भारत सरकार की गाइडलाइन है कि उपभोक्ताओं की विश्वसनीयता के लिए उनके परिसर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाते समय पांच प्रतिशत चेक मीटर लगाए जाएंगे।
उपभोक्ताओं के परिसर पर जो पुराना मीटर लगा है, उसे ही चेक मीटर के रूप में उपयोग में लाया जाएगा। सितंबर 2023 का यह आदेश बिजली कंपनियां लागू करवाना भूल गईं थी। अब सभी बिजली कंपनियों ने आर्डर लेने वाली स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता कंपनियों को आदेश दिया है कि वह निशुल्क चेक मीटर लगाएं।
अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को पावर कारपोरेशन के निदेशक कमर्शियल निधि नारंग, मध्यांचल, पूर्वांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि. के निदेशक, कमर्शियल और निदेशक तकनीकी से अलग-अलग बात कर इसकी सतत निगरानी का अनुरोध किया।
उन्हाेंने बताया कि उपभोक्ता के परिसर पर प्रीपेड मीटर लगाते समय पांच प्रतिशत की सीमा तक उनके परिसर पर लगे साधारण मीटर को चेक मीटर के रूप में लगा रहने दिया जाएगा। हर 20 मीटर के बाद एक चेक मीटर लगेगा।
चेक मीटर के रूप में लगे पुराने मीटर और नए मीटर से उपभोक्ता मिलान कर यह पता लगा सकेंगे कि वह तेज तो नहीं चल रहा है, उसकी बिलिंग ज्यादा तो नहीं आ रही है। इसकी सूचना प्रत्येक माह भारत सरकार को भेजनी होगी, इसका प्रारूप भी बिजली कंपनियों ने अधिशासी अभियंता परीक्षण व टेस्ट को भेजा गया है।
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