पशु माफिया की आंखों की किरकिरी बना ध्यान फाउंडेशन

Dec 13, 2022 - 21:26
Dec 13, 2022 - 21:25
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पशु माफिया की आंखों की किरकिरी बना ध्यान फाउंडेशन
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पशु माफिया की आंखों की किरकिरी बना ध्यान फाउंडेशन
पशु माफिया की आंखों की किरकिरी बना ध्यान फाउंडेशन
पशु माफिया की आंखों की किरकिरी बना ध्यान फाउंडेशन
पशु माफिया की आंखों की किरकिरी बना ध्यान फाउंडेशन

ध्यान फाउंडेशन मुहरीपुर गौशाला, इस क्षेत्र में सक्रिय पशु माफिया की आंखों की किरकिरी बन गई है जो इसके संचालन में बाधा डालने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। बार-बार दबाव की रणनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें महिला स्वयंसेवक का उत्पीड़न, एजेंटों के माध्यम से धमकियां और ब्लैकमेलिंग शामिल हैं। और तो और गौशाला के कार्य में रुकावट डालने के लिये उन्होंने संचालन को बाधित करने के लिए आश्रय में मोटर को भी शॉर्ट सर्किट कर दिया।

मोहरीपुए गौशाला जो अपने खर्चे पर पशुओं की देखभाल कर के राज्य की ही मदद कर रही है और वहाँ के एस डी एम जिन्होंने कभी भी गौशाला की कोई मदद नहीं की , वह मोटर के मामले पर तुरंत आ खड़े हुए और गौशाला के कर्मचारी और स्वयंसेवकों से पूछताछ शुरू कर दी। कोई भी अधिकारी बिना वारंट के किसी के निजी इलाक़े में कैसे प्रवेश कर सकता है जिसमें कि राज्य द्वारा किसी भी प्रकार का कोई सहयोग नहीं है। 

यहाँ एक बात महत्वपूर्ण है कि एसडीएम साहब का दौरा डीएफ द्वारा 2 सुपरवाइज़र को हटाने के कुछ घंटों के भीतर था । यह सुपरवाइज़र पैसे का गबन कर रहे थे और माफिया पेरोल पर गायों की चोरी की योजना बना रहे थे। उन पर एफआईआर हो चुकी है। दोनों ने रात में एक महिला स्वयंसेवक के कमरे में घुसने का भी प्रयास किया।

दक्षिण त्रिपुरा के मुहरीपुर में ध्यान फाउंडेशन गौशाला, बीएसएफ और पुलिस द्वारा पशु तस्करों से छुड़ाई गई 900 से अधिक गायों और बैलों का आश्रय है। बचाए गए पशुओं के लिए ये अत्याधुनिक गौशाला, शेड, हौदी, पानी की नाद, सीमेंटेड फर्श, क्रिटिकल वार्ड, पशु चिकित्सक, पैरावेट, और गौसेवा में समर्पित कर्मचारियों और स्वयंसेवकों से सुसज्जित है। यह सब बिना किसी प्रशासनिक सहयोग के,ध्यान फाउंडेशन के सदस्यों के संसाधनों और व्यक्तिगत धन के माध्यम से हासिल किया गया है। यह गौशाला एक निजी भूमि पर स्थापित है, जिसे फाउंडेशन ने अपनी जेब से पैसे खर्च कर के पट्टे पर लिया है ।

ध्यान फाउंडेशन पूरे भारत में ऐसे 50000 से भी अधिक बचाए गए गौवंश का पोषण कर रहा है। अकेले त्रिपुरा के देबीपुर गौशाला और सेफ़लिजला ज़िले में कम से कम 1100 पशुओं की देखभाल हो रही है

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