न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भड़के राउत

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बड़ा बदलाव किया है। भारतीय संविधान लागू होने के 75वें वर्ष में न्याय की प्रतीक देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हट गई है। हाथ में तलवार की जगह भी अब संविधान ने ले ली है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के इस कदम पर अब राजनीति शुरू हो गई है। शिवसेना-उद्धव बालासाहेब के नेता संजय राउत ने कोर्ट के इस फैसले की आलोचना की है और भाजपा-संघ पर निशाना साधा है। 

Oct 17, 2024 - 12:20
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न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भड़के राउत

मुंबई (आरएनआई) शिवसेना के यूबीटी के सांसद संजय राउत ने न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, "न्यायालय का काम संविधान की रक्षा करना और संविधान के तहत ही न्याय करना है। लेकिन अभी सुप्रीम कोर्ट में क्या हो रहा है? आखिर वे न्याय की देवी के हाथों से तलवार हटाकर उसे संविधान से बदलने का फैसला कर साबित क्या करना चाहते हैं?

राउत ने आगे कहा, "वे पहले ही संविधान को मार रहे हैं और अब न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटाकर वे सभी को खुले तौर पर भ्रष्टाचार और संविधान की हत्या दिखाना चाहते हैं। यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का प्रोपेगैंडा और अभियान है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बदलाव में खास भूमिका है। उनके निर्देश पर देवी की प्रतिमा बदली गई है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की लाइब्रेरी में नई प्रतिमा लगाई गई है। पहले देवी की आंखों पर पट्टी होती थी। एक हाथ में तराजू, दूसरे में सजा की प्रतीक तलवार थी।

जस्टिस चंद्रचूड़ का मानना है कि भारत को अंग्रेजी विरासत से आगे निकलने की जरूरत है। कानून कभी अंधा नहीं होता। वह सभी को एकसमान रूप से देखता है। इसलिए न्याय की देवी का स्वरूप भी बदला जाना चाहिए। हाथ में संविधान संदेश देता है कि न्याय संविधान के अनुसार किया जाता है। दूसरे हाथ में तराजू, प्रतीक है कि कानून की नजर में सभी समान हैं।

दूसरी तरफ शिवसेना-यूबीटी की ही सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने गुरुवार को भारत और कनाडा के बीच जारी विवाद पर अपनी राय रखी। उन्होंने ट्रूडो सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अब तक जो भी हो रहा है, उससे साफ है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत-विरोधी विचार रखने वाले और भारत के हितों के खिलाफ काम करने वालों को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत के पास हर वजह है कि वह यह माने कि किसी वजह से कनाडा सरकार भारत के हितों के खिलाफ नैरेटिव का समर्थन कर रही है। हमारा देश अपनी सुरक्षा जरूरतों और नागरिकों के हितों के हिसाब से फैसले करने में सक्षम है। 

उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि हमारी तरफ से कोई भी गलत कदम कनाडा में रहने वाले भारतीयों और वहां पढ़ने वाले लाखों छात्रों पर असर डाल सकता है। हमें अपने वक्तव्यों में सावधान रहना होगा। प्रियंका ने कहा कि फिलहाल कनाडा बिना किसी सबूत के ही भारत के खिलाफ कोशिशों में जुटा है। भारत अपने फैसले खुद कर सकता है। उन्हें इस मामले में विपक्ष से भी बात करनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि जब भी विदेश मंत्री को ठीक लगेगा, वह संसद के सभी वर्गों को इस बारे में जानकारी देंगे।

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