नाबालिग के अपहरण और बलात्कार के दोषी को आजीवन कारावास, 55000 अर्थ दंड
मथुरा, (आरएनआई) विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट माननीय जज रामकिशोर यादव की अदालत ने बृहस्पतिवार को नाबालिग के अपहरण और बलात्कार के दोषी अभियुक्त मोहन को आजीवन कारावास एवं 55000 अर्थ दंड की सजा सुनाई है इस केस में माननीय न्यायालय ने अभियुक्त को 31 अक्टूबर को दोषी सिद्ध कर दिया था।
इस केस की सरकार की ओर से पैरवी कर रहीं स्पेशल डीजीसी पोक्सो कोर्ट श्रीमती अलका उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि पीड़िता के पिता ने थाना कोतवाली में तहरीर दी थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी पुत्री (पीडिता) उम्र करीब 15 वर्ष 9 जून 2020 को सांय 4-5 बजे मोहन भगा ले गया। रात्रि करीब एक बजे पीड़िता के घर पर फोन आया। पीड़िता के पिता की तहरीर पर थाना कोतवाली मथुरा, जिला मथुरा पर अभियुक्त मोहन के विरूद्ध मुकदमा अपराध संख्या 244/2020 अन्तर्गत धारा 363, 366, भारतीय दण्ड संहिता में दिनांक 11 जून 2020 को पंजीकृत किया गया। पीड़िता के बयान अन्तर्गत धारा 161 व 164 दण्ड प्रक्रिया संहिता अंकित कराये तथा बाद विवेचना विवेचक द्वारा उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर प्रथम दृष्टया साक्ष्य पाते हुए अभियुक्त मोहन के विरूद्ध धारा 363, 366, 376 भारतीय दण्ड संहिता व 3/4 पोक्सो एक्ट में आरोप पत्र न्यायालय प्रेषित किया गया।
31अक्टूबर मंगलवार को विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट रामकिशोर यादव ने सुनवाई करते हुए अभियुक्त मोहन को दोषी मानते हुए, उस पर आरोप सिद्ध कर दिया था, आज इस केस में माननीय न्यायालय ने दोषी को आज ही बनकर आवास की सजा सुनाई है।
बृहस्पतिवार को विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट रामकिशोर यादव ने सेशन केस संख्या 850 / 2020 में सुनवाई करते हुए अभियुक्त मोहन को पोक्सो अधिनियम 2012 की
धारा - 4 मे को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास एवम 50.000 हजार अर्थ दण्ड और अर्थ दंड न देने पर 6 महीने का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई है
धारा 66 भारतीय दंड संहिता के अपराध में अभियुक्त मोहन को 7 वर्ष की कठोर कारावास तथा ₹3000 अर्थ दंड की सजा सुनाई गए अर्थ दंड न देने पर 20 दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास दोसी भुगतेगा।
धारा 363 भारतीय दंड संहिता अपराध हेतु अदालत में दोषी मोहन को 5 वर्ष के कठोर कारावास तथा ₹2000 के अर्थ दंड की सजा से दंडित किया है अर्थ दंड न देने पर दोषी 20 दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतेगा अभियुक्त द्वारा जेल में बितायी गयी अवधि इस सजा में समायोजित की जाएगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी। सजा मिलने के बाद अभियुक्त को तत्काल पुलिस सुरक्षा में जेल भेज दिया है।
(कमलकांत उपमन्यु)
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