नशामुक्त भारत के लिए केन्द्र, राज्य समान गंभीरता एवं तीव्रता से काम करें : अमित शाह
सरकार ने नशामुक्त भारत बनाने के लिए नशीले पदार्थों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति क्रियान्वित करने को केन्द्र एवं राज्यों की संयुक्त जिम्मेदारी बताते हुए सभी राज्य सरकारों का आह्वान किया कि वे समान गंभीरता एवं तीव्रता से इस अभियान को चलाये ताकि हमारी नयी पीढ़ी को बचाया जा सके।
नयी दिल्ली, 21 दिसंबर 2022, (आरएनआई)। सरकार ने नशामुक्त भारत बनाने के लिए नशीले पदार्थों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति क्रियान्वित करने को केन्द्र एवं राज्यों की संयुक्त जिम्मेदारी बताते हुए सभी राज्य सरकारों का आह्वान किया कि वे समान गंभीरता एवं तीव्रता से इस अभियान को चलाये ताकि हमारी नयी पीढ़ी को बचाया जा सके।
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में करीब पांच घंटे तक देश में नशाखोरी की समस्या को लेकर नियम 193 के तहत चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि नशाखोरी के खिलाफ लड़ाई केवल केन्द्र सरकार या केवल राज्य सरकार की नहीं है। यह केन्द्र एवं सभी राज्यों की समान जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नशामुक्त भारत बनाने का लक्ष्य रखा है, उसे पूरा करने के लिए केन्द्र एवं सभी राज्यों को मिल कर लड़ना होगा तभी इस बहुआयामी लड़ाई का कोई परिणाम निकल सकेगा।
श्री शाह ने कहा कि यह नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) एवं राज्यों के नारकोटिक्स नियंत्रण एजेंसियों के अलावा वित्त विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग को भी मिला कर, सभी आयामों को समन्वित करकेे तीव्रता से कार्रवाई करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों के खिलाफ इस लड़ाई में अभी तक सभी राज्य एवं केन्द्र सरकार कंधे से कंधा मिला कर लड़ रहे हैं। सभी राज्यों ने एक समन्वित रणनीति पर अच्छे से अमल किया है। कुछ विचार अलग हो सकते हैं लेकिन सबकी मंशा एक ही है। हमारे देश की युवा पीढ़ी को नष्ट होने से बचाना है।
गृह मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के साथ व्यापार नहीं हो रहा है लेकिन ड्रोन, सुरंगों, बंदरगाहों एवं हवाईअड्डों के रास्ते नशे का अवैध कारोबार हाे रहा है। जो भी नये नये तरीके अपनाये जा रहे हैं, एजेंसियां उन्हें नाकाम कर रहीं हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक कानून का मामला है तो पीड़ित के साथ सहानुभूति का रवैया अपनाया जाएगा और उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं होगा। उनके पुनर्वास की व्यवस्था होगी। सामाजिक वातावरण बनाया जाए जहां उसे सम्मान से पुनर्वासित होने का अवसर मिले। सरकार ने ड्रग के कारोबार पर राज्यों के गृह मंत्रियों एवं पुलिस महानिदेशकों की बैठक में साफ कहा है कि कहीं कोई ड्रग की जब्ती हो तो उसे केवल एक आयाम में नहीं देखा जाए। उसकी सीमाएं देखीं जाएं।
उन्होंने कहा कि एनसीबी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी को क्रमश: देश में एवं विदेशों में जांच के अधिकार हैं। राज्यों से कहा गया है कि यदि वे पाएं कि किसी केस की जांच राज्य के बाहर करने की जरूरत है तो एनसीबी और यदि किसी केस की जांच विदेश में करने की जरूरत है तो एनआईए की मदद लें। उन्होंने कहा कि 42 केसों में राज्यों ने इसका लाभ उठाया है। उन्होंने कहा कि एनसीबी को भी सशक्त बनाया गया है। उसमें 419 नये पद सृजित किये गये हैं।
श्री शाह ने कहा कि देश में एनकोर्ड समितियां राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय बनाने का प्रावधान किया गया है जो जिलाधिकारी, पुलिस, समाज कल्याण विभाग, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मिला बनायी जाती है। इस समय देश के 432 जिलों में एनकोर्ड समितियां बन चुकीं हैं। उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय एनकोर्ड समितियों में नोडल एजेंसी एनसीबी है जबकि नौसेना, तटरक्षक बल, तटीय पुलिस बल, एनटीआरओ, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को भी शामिल किया गया है। एनकोर्ड का पोर्टल बना कर उसमें हर प्रकार का डाटा उपलब्ध कराया गया है जो सभी एजेंसियों में सुचारु समन्वय के लिए जरूरी है। पोर्टल में देश के 472 जिलों की ड्रग ट्रैफिकिंग की पूरी मैपिंग करके डाला गया है। उन्होंने कहा कि सीमाओं पर तस्करी पर रोक लगाने के लिए सीमा सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल, असम राइफल्स और रेल सुरक्षा बल को केस दर्ज कराने का अधिकार दिया गया है।
गुजरात के मुन्द्रा बंदरगाह पर बड़ी मात्रा में ड्रग की बरामदगी के बारे में श्री शाह ने बताया कि ये नशीले पदार्थ खाड़ी के देशों के आये थे। उसके मालिकों को पकड़ा जा चुका है। उनकी फैक्टरियों की जांच की गयी है। 12 राज्यों में फैले कारोबार को भी नियंत्रित कर लिया गया है। उनके विरुद्ध चालान पेश किया जा चुका है और वह पोर्टल पर उपलब्ध है। इस मामले पर राजनीतिक टीका टिप्पणियों का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि ड्रग्स की बरामदगी इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकारें काम कर रहीं हैं। पंजाब में कोई जब्ती नहीं हुई तो क्या यह कहा जा सकता है कि वहां नशे का कोई कारोबार नहीं होता है। इसलिए बरामदगी अच्छी बात है।
गृहमंत्री ने कहा कि देश में नशामुक्त भारत के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया है। करीब दो लाख 72 हजार शैक्षणिक संस्थानों में 14 छात्रों को नशामुक्त रहने की शपथ दिलायी गयी है। न्यूनतम मानदेय पर आठ हजार मास्टर स्वयंसेवक तैयार किये गये हैं। ढेर सारे स्वैच्छिक संगठनों को भी जोड़ा गया है। देश में तीन सौ से अधिक अत्याधुनिक पुनर्वास केन्द्र बनाए जा रहे हैं। देश में नशीली दवाओं के दुष्परिणामों की जानकारी देने के लिए दो लाख से अधिक परामर्शदाता तैयार किये हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा सोचा गया था कि आजादी के 75वें वर्ष में 60 दिनों में 75 हजार किलोग्राम नशीले पदार्थ जलाये जाएंगे लेकिन कुछ ही दिनों में एक लाख 60 हजार किलोग्राम ड्रग्स जलाने में कामयाबी मिली।
श्री शाह ने कहा कि जलाये गये ड्रग्स की कीमत 97 हजार करोड़ रुपए से अधिक थी। इस अभियान में चार लाख 14 हजार 697 केस दर्ज किये गये और पांच लाख 23 हजार 224 गिरफ्तारियां हुईं हैं। तस्करों के विरुद्ध 13 हजार केस दर्ज किये गये हैं। उन्होंने कहा कि नशामुक्त भारत अभियान केन्द्र एवं राज्यों का संयुक्त अभियान है। केन्द्र एवं राज्य समान गंभीरता एवं तीव्रता से चलायें। एनकोर्ड समितियों के ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। हम सभी जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ नशामुक्त भारत की रचना करेंगे।
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