नरी सेमरी: लठ्ठ से होती है देवी माँ की पूजा
मथुरा जिले में नरी सेमरी मंदिर में आखिरी दिन होती है लट्ठ पूजा। इस मेले के आखिरी दिन यानि नवमी को यहां देवी मां की लाठियों से पूजा की जाती है। सैकड़ों साल से मंदिर में यही परंपरा चली आ रही है। लाठियों से ये पूजन भक्तों की देवी मां से लड़ाई नहीं है बल्कि देवी मां के पूजन के लिए भक्तो की आपसी लड़ाई है।
छाता (आरएनआई) गांव नरी सेमरी में देवी का पूजन लाठियों से किया जाता है। छाता के नरी सेमरी गांव में नवरात्र मेले के आखिरी दिन देवी की यह विशेष लाठी पूजा होती है और इस विशेष पूजा को देखने के लिए दूर दूर से भक्तगण यहां पहुंचते है।
हाथ में लाठी डंडे लेकर दौड़ते ये लोग किसी से लड़ने नहीं जाते बल्कि ये देवी मां का पूजन करने जाते है। छाता के नरी सेमरी गांव में मातारानी का बेहद प्राचीन मंदिर है, इस मंदिर की विशेष धार्मिक मान्यता है। इसीलिए हर साल यहां नवरात्र के मौके पर बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है।
आज से कई साल पहले जब यहां रहने वाले ठाकुर समुदाय के दो पक्ष सूर्यवंशी और चंद्रवंशी देवी मां के पूजन को लेकर बहस करने लगे तो देवी मां ने दोनों पक्षों से कहा था कि जो पक्ष लाठियों से जीत जाएगा, वही मेरी पहले पूजा करेगा। लेकिन जब लड़ते लड़ते पूजन का वक्त निकल गया तब देवी मां ने दोनों पक्षों से हर साल इसी तरह अपना पूजन करने की बात कही और तब से लेकर आज तक यही परंपरा चली आ रही है।
आज भी ठाकुर समुदाय के दोनों पक्ष हाथ में लाठियां लिए मंदिर जाते है और देवी मां की चौखट पर लाठियां मारते है। इस विशेष पूजा को देखने के लिए दूर दूर से भक्तगण यहां आते है। इस विशेष पूजा में शामिल होने के लिए ठाकुर समुदाय के दोनों पक्षों को साल भर इस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है।
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