नदियों में जमा अदृश्य प्लास्टिक का लगाया जा सकेगा सटीक पता, वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी
शोधकर्ता इस बात का पता लगाने में सफल रहे कि प्लास्टिक अलग-अलग दिशाओं में कैसे पहुंचता है और डूबता है। इसके अलावा यह अलग-अलग रूपों में बदल जाता है। इससे यह भी पता लगता है कि कोई कण कितनी तेजी से पानी में डूबता है।
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नई दिल्ली (आरएनआई) नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विधि को खोजा है, जिससे नदियों के तल में मौजूद व बहकर जाने वाले अद्रश्य प्लास्टिक का सटीक पता लग जाता है। दिखाई न देने वाले प्लास्टिक के ये कण पानी के नीचे या नदी के तल में डूबे हुए हो सकते हैं, जहां वे नदी के जीवों और पौधों समेत पूरी पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाते हैं।
कार्डिफ यूनिवर्सिटी, कार्लजूए इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और डेल्टारेस की अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए शोध अध्ययन के अनुसार नदियों में प्रदूषण की यह समस्या महासागरों को भी प्रदूषित कर रही है। इसलिए नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर का पता लगाने और उनकी सफाई सुनिश्चित करने के यह प्रयोग काफी मददगार साबित होगा। अध्ययन करने वाली टीम का कहना है कि उनकी यह विधि नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण की कुल मात्रा का अधिक सटीक अनुमान लगा सकती है।
शोधकर्ता इस बात का पता लगाने में सफल रहे कि प्लास्टिक अलग-अलग दिशाओं में कैसे पहुंचता है और डूबता है। इसके अलावा यह अलग-अलग रूपों में बदल जाता है। इससे यह भी पता लगता है कि कोई कण कितनी तेजी से पानी में डूबता है। पहले यह माना जाता था कि प्लास्टिक हमेशा एक स्थिर डूबने वाला होता है इसलिए स्थिर गति से डूबता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह अलग-अलग हिस्सों में नहीं टूटता। इस बात की जानकारी मिलना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्लास्टिक के कणों के डूबने की दर उसके दूर तक बहकर पहुंचने की स्थिति को समझने के लिए जरूरी है।
शोधकर्ताओं ने 3,000 से अधिक आम प्लास्टिक प्रदूषण संबंधी वस्तुओं जैसे पॉलीस्टाइरिन कप और अन्य टुकड़ों को नदी की स्थिति को दर्शाने के लिए डिजाइन किए गए पानी के बड़े चैनलों में गिराया। इसके बाद कई कैमरों का उपयोग करके नमूनों की हरकतों को मिलीमीटर तक की सटीकता के साथ उन पर नजर रखी गई। उनके विश्लेषण से पता चलता है कि अलग-अलग आकार और साइज वाले डूबते प्लास्टिक को नदियों में अलग-अलग तरीकों से ले जाया जा सकता है।
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