नए मैदान ने बढ़ाई महबूबा की मुसीबत
जम्मू और कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट काफी हद तक कश्मीर घाटी की भविष्य की राजनीति की दिशा भी तय करेगी।
अनंतनाग-राजौरी (आरएनआई) जम्मू और कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट काफी हद तक कश्मीर घाटी की भविष्य की राजनीति की दिशा भी तय करेगी। गठबंधन में साथ आने की तमाम कवायदों के बीच पीडीपी की महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अब्दुल्ला परिवार की राहें चुनाव में अलग हो गईं। महबूबा ने यहां से ताल ठोकी तो उन्हें रोकने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मौजूदा सांसद हसनैन मसूदी का टिकट काटकर मियां अल्ताफ को उतार दिया। मियां अल्ताफ पीर फकीरी के परिवार से आते हैं और स्थानीय लोगों में खासा रसूख है। मियां अल्ताफ का परिवार वर्षों से राजनीति में है। वह प्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं। पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद ने यहां से अपनी पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) से एडवोकेट सलीम को चुनाव में उतारा है। भाजपा ने यहां उम्मीदवार नहीं उतारा है।
कभी आतंकवाद के लिए चर्चा में रहने वाले अनंतनाग की तस्वीर बदली-बदली सी है। पहलगाम की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर रात के लगभग एक बजे भी एक जनरल स्टोर खुला नजर आया। संचालक मुश्ताक कहते हैं, अब यहां शांति है। मैं देर रात तक दुकान खुला रखता हूं। एक होटल संचालक ने भी कहा- यहां अब पहले जैसे हालात नहीं हैं। खास बात यह है कि इस क्षेत्र में पहलगाम के साथ ही पुंछ-राजौरी और कुलगाम-शोपियां जैसे क्षेत्र आते हैं। यहां पर पहले सात मई को चुनाव होने वाला था, लेकिन, विभिन्न पार्टियों की मांग पर इसे 25 मई के लिए टाल दिया गया। इस सीट पर पहली बार अनंतनाग के साथ राजौरी क्षेत्र भी जोड़ा गया है। यह अकेली सीट है, जो जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों में आती है। अनंतनाग वैसे तो मुस्लिम बहुल सीट रही है लेकिन, पुंछ ओर राजौरी क्षेत्र जुड़ने के कारण हिंदू वोटों की संख्या भी अच्छी खासी हो गई है।
कश्मीर के ज्यादातर शहरों में घंटाघर बनाए जा रहे हैं, जिन पर तिरंगा लहराता है। शाम के लगभग छह बजे कुलगाम में हल्की धूप के बीच चहल-पहल नजर आई। चौराहे पर दो फल की दुकानें हैं। नाम पूछने पर दुकानदार बोले, नाम क्या पूछना- कहानी पूछिए। दोनों ही बताते हैं कि एक दौर में उनकी दुकानें माह में कुछ ही दिन खुलती थीं। एक दुकानदार आंखों में आंसू लिए बोले- 30 साल से उन्होंने अनेक दौर देखे हैं। उनके भाई की मौत यहीं दुकान में आतंकियों के ग्रेनेड हमले में हो गई थी। अब शांति है। सेना की सख्ती के चलते यहां पत्थरबाजी नहीं होती है।
इस क्षेत्र में पहलगाम पर्यटकों को सर्वाधिक लुभाता है। पवित्र अमरनाथ की यात्रा भी यहीं से होकर निकलती है। प्रसिद्ध लिद्दर नदी के किनारे तस्वीरें उतार रहे नदीम ने कहा, सब अच्छा चल रहा है। अमरनाथ यात्रा में सभी लोग सहयोग करते हैं। अनंतनाग के होटल संचालक अरशद बोले, हमें पवित्र अमरनाथ यात्रा का इंतजार रहता है।
अरशद और स्थानीय पत्रकार गुलजार अहमद कहते हैं कि महबूबा के लिए मुकाबला आसान नहीं है। अनंतनाग से महबूबा को बढ़त मिल सकती है। पहलगाम के गणेशबल में तीन महिलाओं ने कहा कि उनके गांव की स्थिति ठीक नहीं है। विकास व रोजगार के लिए किसी ने काम नहीं किया। बिजली संकट और बेरोजगारी यहां की बड़ी समस्या है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?