धर्मेंद्र प्रधान के 'बेईमान' वाले बयान पर बवाल, डीएमके के सांसदों का हंगामा; लोकसभा स्थगित
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि द्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने पहले इस केंद्र प्रायोजित योजना को लागू करने पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन अब अपने रुख से पीछे हट गई है।

नई दिल्ली (आरएनआई) बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही के दौरान लोकसभा में सोमवार को जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। लोकसभा की कार्यवाही सोमवार को लगभग 30 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी जब द्रमुक सदस्यों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रधान ने तमिलनाडु सरकार को "बेईमान" बताते हुए कहा कि वह छात्रों के भविष्य को "बर्बाद" कर रही है और पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया योजना पर पूरी तरह 'यू-टर्न' ले रही है।
केंद्रीय मंत्री की इन टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताते हुए द्रमुक सदस्यों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रदर्शन कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर लौटने और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने की अपील की। हालांकि, द्रमुक सांसदों ने उनकी अपील को नजरअंदाज किया और अपना विरोध जारी रखा।
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही सोमवार को शुरू हुई और लोकसभा में प्रश्नकाल का सामान्य तरीके से आरंभ हुआ, लेकिन पीएमश्री योजना को लेकर द्रमुक सांसद टी सुमति के पूरक प्रश्न पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के जवाब के बाद द्रमुक सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
सुमति ने पीएमश्री योजना के तहत आरोप लगाया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को स्वीकार नहीं करने के कारण तमिलनाडु को पीएमश्री योजना के तहत आवंटित किए जाने वाले 2,000 करोड़ रुपये की केंद्रीय राशि अन्य राज्यों को हस्तांतरित कर दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘मैं (शिक्षा) मंत्री से पूछना चाहती हूं कि क्या स्कूली छात्रों की शिक्षा के लिए चिह्नित धन को राज्य के खिलाफ बदला लेने के औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए? सुमति ने कहा, मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या वह संसद को आश्वासन देगी कि कानून के तहत जिस नीति को लागू नहीं किया जा सकता, उसे स्वीकार नहीं करने के लिए किसी भी राज्य को धन की कटौती का सामना नहीं करना पड़ेगा?’’
पूरक प्रश्न के उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, एक समय था जब तमिलनाडु सरकार केंद्र सरकार के साथ (एनईपी पर) एमओयू पर हस्ताक्षर करने को तैयार थी। तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के साथ कुछ सदस्य हमारे पास आए थे और उन्होंने सहमति व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे गैर-भाजपा शासित राज्य भी पीएमश्री योजना को स्वीकार कर रहे हैं।
प्रधान ने कहा, हम तमिलनाडु को वित्तीय आवंटन कर रहे हैं, लेकिन वे प्रतिबद्ध नहीं हैं। वे (द्रमुक) तमिलनाडु के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। वे जानबूझकर राजनीति कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वे छात्रों के साथ अन्याय कर रहे हैं और अलोकतांत्रिक तथा असभ्य तरीके से व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने द्रमुक पर तमिलनाडु के छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों को रोकने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार सबके लिए काम कर रही है।
प्रधान ने कहा, मेरी जानकारी है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एनईपी को स्वीकार करना चाहते हैं, लेकिन कुछ लोग उन्हें रोक रहे हैं जो भविष्य में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। मुख्यमंत्री (स्टालिन) छात्रों के प्रति ईमानदार नहीं हैं।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने सदस्यों के हंगामे के बीच कुछ मिनट तक प्रश्नकाल संचालित किया। उन्होंने द्रमुक के सदस्यों से कहा, आपके सदस्य को प्रश्न पूछने का मौका दिया गया। आप मंत्री का जवाब सुनें। लेकिन यह तरीका ठीक नहीं है। यह गलत परंपरा है। संसद की मर्यादा का उल्लंघन नहीं करें और कृपया अपनी सीटों पर बैठ जाएं। अध्यक्ष ने कहा, प्रश्नकाल सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। आप लोग अपनी सीटों पर जाएं और सदन को चलने दें। सदन आपका है और अच्छे उत्साह एवं उमंग के साथ आज की कार्यवाही शुरू हुई है। हंगामा नहीं रुका तो अध्यक्ष ने करीब आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी।
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