देश में दिमाग खाने वाले अमीबा का संक्रमण बढ़ा, अब तक 22 लोगों की जा चुकी है जान
पूरे देश में दिमाग खाने वाले अमीबा का संक्रमण बढ़ चुका है। 2019 तक इसके केवल 17 मामले दर्ज थे। कोरोना महामारी के बाद इस बीमारी से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी है।
नई दिल्ली (आरएनआई) केरल के कोझिकोड में दिमाग खाने वाले अमीबा ने एक 14 साल के बच्चे की जान ले ली। मृदुल नाम का यह लड़का एक छोटे तालाब में नहाने गया जिसके बाद वह संक्रमित हुआ। इस बीमारी को अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) नाम से जानते हैं जो नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा की वजह से होती है। जब पानी के जरिये यह अमीबा शरीर में पहुंचता है तो महज चार दिन के अंदर यह इंसान के नर्वस सिस्टम यानी दिमाग पर वार करना शुरू कर देता है।
14 दिन के अंतराल में यह दिमाग में सूजन पैदा कर देता है जिसकी वजह से मरीज की मौत हो जाती है। इस साल केरल में इस बीमारी से यह तीसरी मौत है। हालांकि इससे पहले भी देश के विभिन्न अस्पतालों में अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बीमारी के मामले सामने आते रहे हैं। केंद्र सरकार के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के मुताबिक, अब तक केरल से लेकर हरियाणा और चंडीगढ़ तक 22 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से छह मौत 2021 के बाद दर्ज की गईं। केरल में पहला मामला 2016 में सामने आया तब से अब तक यहां आठ मरीज मिले हैं और सभी की मौत हुई। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, साल 2019 तक देश में इस बीमारी के 17 मामले सामने आए लेकिन कोरोना महामारी के बाद कई तरह के संक्रमणों में उछाल देखने को मिला है। इसलिए शायद अचानक से बढ़ी इस बीमारी के पीछे यह एक कारण हो सकता है। 26 मई 2019 को हरियाणा में एक आठ माह की बच्ची में यह बीमारी सामने आई।
आईसीएमआर की डॉ. निवेदिता बताती हैं...अभी तक इस बीमारी की कोई दवा या फिर बचाव के लिए टीका मौजूद नहीं है। बावजूद इसके भारत में अब तक सात मरीजों को मौत से बचाया है। इसके लिए अलग-अलग तरह की एंटीबायोटिक देकर इलाज किया जाता है जिसके लिए समय पर बीमारी का पता चलना बहुत जरूरी है।
सिरदर्द, ज्वर, मतली और उल्टी आना इसके प्रारंभिक लक्षण हैं जिनके बाद गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे, मतिभ्रम और आखिर में कोमा की स्थिति देखी जाती है। लक्षण मिलने के 18 दिन के भीतर मरीज की मौत हो सकती हैै। उन्होंने यह भी बताया कि इलाज के बाद भी 97 प्रतिशत की दर्ज मृत्यु दर के साथ नेगलेरिया फाउलेरी संक्रमण से बचने की संभावना कम रहती है।
पूरी दुनिया इसकी चपेट में : 2019 में जारी दिल्ली एम्स के एक अध्ययन में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. बिजय रंजन ने यह बताया कि संक्रमण की दुर्लभता के बावजूद दुनिया भर में 400 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। 1968 से 2019 तक अकेले अमेरिका में 143 मरीज मिले, जिनमें 139 की मौत हुई। पाकिस्तान में 2008 से 2019 तक 147 मरीज मिले। वहीं यूरोप में 24 और ऑस्ट्रेलिया में 19 मामले मिले हैं। अगर एशिया की बात करें तो अकेले सबसे ज्यादा मामले पाकिस्तान, भारत और थाईलैंड में मिले हैं।
साल 2015 में पहली बार नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने यह पता लगाया कि उत्तर भारत की मिट्टी में कई तरह का अमीबा मौजूद है जिनमें से नेगलेरिया फाउलेरी है जो अमीबिक
मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बीमारी का कारण है। डॉक्टरों ने साल 2012 से 2013 के बीच हरियाणा के रोहतक और झज्जर के 107 जलाशयों की जांच में इसका पता लगाया। 107 पानी के नमूनों में से 43 (40%) नमूनों में अमीबा मिला।
पारंपरिक सूक्ष्म जीव विज्ञानी जांच में अक्सर इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है। इसलिए पीसीआर के जरिए जल्द ही बीमारी की पहचान हो सकती है। इसे साबित करने के लिए दिल्ली एम्स ने देश का पहला अध्ययन अक्तूबर 2020 में प्रकाशित किया जिसमें 307 मरीज की पारंपरिक जांच में कोई भी इस बीमारी से संक्रमित नहीं मिला लेकिन पीसीआर जांच में तीन मरीज सामने आए।
दिल्ली एम्स के वरिष्ठ डॉ. शरत कुमार बताते हैं...मिट्टी से होता हुआ यह नदी या तालाब में पहुंचता है जिसके संपर्क में, नहाने या फिर गोता लगाने से यह अमीबा नाक और मुंह के जरिये इन्सान के शरीर तक पहुंचता है। यह तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क में चला जाता है जिससे मस्तिष्क के ऊतकों में गंभीर सूजन होती है फिर ये उत्तक नष्ट होने लगते हैं। यह बीमारी कोरोना की तरह एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती।
डॉ. शरत का कहना है कि नेगलेरिया फाउलेरी एकल-कोशिका वाला जीव है। यह बहुत छोटा होता है इसलिए इसे सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भले ही इंसान का शरीर नेगलेरिया फाउलेरी के प्रति संवेदनशील है, फिर भी यह अमीबा संक्रमण अत्यंत दुर्लभ होता है। कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र, नासिका अथवा साइनस की दीर्घकालिक समस्या, गर्म या फिर ताजा जल के संपर्क में आना जैसे कुछ कारक इसकी आशंका को बढ़ा सकते हैं।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?