देवगिरि किले के मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पर ASI के आदेश से बढ़ा विवाद

महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में मौजूद देवगिरि किले में मौजूद मंदिरों में पूजा-अर्चना रोकने को लेकर दिए गए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आदेश की जमकर आलोचना हो रही है। एएसआई के इस आदेश की शिवसेना (यूबीटी) और कई दलों ने आलोचना की है।

Jun 27, 2024 - 21:45
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देवगिरि किले के मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पर ASI के आदेश से बढ़ा विवाद

महाराष्ट्र (आरएनआई) छत्रपति संभाजीनगर जिले में मौजूद देवगिरि किले के मंदिरों में पूजा-पाठ करने को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कहा है कि सदियों से संरक्षित पुराने किलेबंद गढ़ के इन मंदिरों में पूजा-अर्चना या कोई अन्य अनुष्ठान करना कानून का उल्लंघन होगा। गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सामने आए 4 जून के आदेश के अनुसार, किले की तलहटी में मौजूद भारत माता मंदिर के पुजारी राजू कंजुने को अनुष्ठान करने से रोक दिया गया है।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार, एक निर्जीव स्मारक होने के कारण, किले के परिसर में स्थित किसी भी मंदिर में अनुष्ठान की अनुमति देना प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 का उल्लंघन होगा। दो अन्य हिंदू मंदिर - संकट विनायक गणेश मंदिर और जनार्दन स्वामी मंदिर - किले के शीर्ष पर मौजूद हैं। 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आदेश से नया विवाद खड़ा हो गया है और महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता शिवसेना (यूबीटी) के अंबादास दानवे और मराठा कोटा कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने इसपर सवाल उठाया है। वहीं इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, कि देवगिरी किला एक निर्जीव स्मारक है और यहां पूजा करने की अनुमति नहीं है। कोई भी पुजारी अनुष्ठान नहीं कर सकता है, लेकिन पर्यटक किले में स्वतंत्र रूप से जा सकते हैं। 

वहीं शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे ने सोशल मीडिया X पर एक पोस्ट में कहा कि भारत माता मंदिर, संकट विनायक गणेश मंदिर और जनार्दन स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना सालों से हो रही है और ये पूजा-अर्चना किले के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकार क्षेत्र में आने से बहुत पहले से हो रही है। तो फिर किला एक निर्जीव स्मारक कैसे है? इस दौरान शिवसेना (यूबीटी) ने जानना चाहा कि क्या केंद्र सरकार गणेश मंदिर पर प्रतिबंध लगाएगी, जहां पेशवाओं (मराठा साम्राज्य के मध्यकालीन युग के मंत्री) के दौरान वार्षिक अनुष्ठानों का प्रावधान था, और 'दिंडी' (जुलूस) जो हर साल 'मार्गशीर्ष' (हिंदू कैलेंडर का नौवां महीना) में जनार्दन स्वामी मंदिर में आती है।

शिवसेना (यूबीटी) नेता ने यह भी जानना चाहा कि क्या छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुल्ताबाद में स्थित मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए जाएंगे। इस मामले में मराठा आरक्षण कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने कहा, कि भारत माता मंदिर की स्थापना स्वतंत्रता सेनानियों ने निजाम से क्षेत्र को मुक्त करने के बाद की थी और यहा 1948 से पूजा की जा रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कई स्थल ऐसे हैं जहा किसी खास धर्म के नाम पर छुट्टी घोषित की जाती है। राज्य सरकार को हस्तक्षेप कर इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।

मामले में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज के सह-संयोजक स्वप्निल जोशी ने कहा, भारत माता की पूजा आजादी से पहले से ही देवगिरी किले में की जाती रही है। इसलिए पूरा किला एक निर्जीव स्मारक नहीं हो सकता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अस्तित्व में आने से बहुत पहले से यहां देवताओं की पूजा की जाती रही है।

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