दुर्गा पूजा समितियों को फंड देने पर कलकत्ता हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा- 85 हजार रुपये कम
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में दुर्गा पूजा आयोजकों के लिए अनुदान 85 हजार रुपये किया था। जबकि 2023 में यह 75 हजार रुपये था।
कोलकाता (आरएनआई) दुर्गा पूजा समितियों को पंडाल के लिए फंड देने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि दुर्गा पूजा समितियों के लिए 85 हजार रुपये कम हैं, सरकार कम से कम 10 लाख रुपये तो दे। दुर्गा पूजा समितियों को दिए जाने वाले अनुदान पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को समितियों को किए गए धन के वितरण और उपयोग का सीएजी ऑडिट कराने के लिए हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणन ने पश्चिम बंगाल सरकार के महाधिवक्ता किशोर दत्ता से कहा कि राज्य को प्रत्येक आयोजक को 10 लाख रुपये देने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह पूजा के आयोजन के अनुरूप होगा। 85 हजार रुपये आवश्यक व्यय की तुलना में कुछ भी नहीं है। न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने पिछले दो वर्षों में कई दुर्गा पूजा पंडालों का दौरा किया और महसूस किया कि 85,000 रुपये आयोजन में किए गए खर्च के लिए कुछ भी नहीं है।
अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार दिव्यांग को महज एक हजार रुपये प्रतिमाह देती है। संविदा कर्मियों, दैनिक वेतन भोगी और प्रतिस्थापन कर्मी धन की समस्या से जूझ रहे हैं। हाईकोर्ट में प्रतिनियुक्त पीडब्ल्यूडी कर्मियों को न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है। वहीं सरकार दुर्गा पूजा आयोजकों को 85 हजार रुपये दे रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में दुर्गा पूजा आयोजकों के लिए अनुदान 85 हजार रुपये किया था। जबकि 2023 में यह 75 हजार रुपये था। खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बिवास पटनायक ने राज्य सरकार को पूजा आयोजकों को बिजली शुल्क पर छूट देने से रोकने के आदेश की प्रार्थना भी स्वीकार नहीं की। अदालत ने कहा कि पूजा आयोजकों को राज्य निधि का वितरण पूजा पंडाल स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रशंसनीय उद्देश्य के लिए हो सकता है क्योंकि यह राज्य की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है।
कोर्ट ने कहा कि पूजा पंडालों की स्थापना में जो धनराशि खर्च की जा रही है, हमारा विचार है कि 85,000 रुपये की राशि मुश्किल से पूजा पंडाल की स्थापना और पूरी अवधि के लिए अन्य गतिविधियों को पूरा करने की लागत को पूरा कर सकती है। इसलिए जरूरी है कि यह देखा जाए कि धन का उपयोग कैसे किया जाता है। जिन समितियों को ऐसे धन प्राप्त हुए हैं वे राज्य के प्रति जवाबदेह हैं।
याचिकाकर्ता की वकील नंदिनी मित्रा ने कहा कि यह चिंताजनक है कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रदान की गई अनुदान राशि को लेकर दुर्गा पूजा समितियां खर्च का हिसाब नहीं दे रही हैं। मित्रा ने कहा कि खर्च की रिपोर्ट जमा नहीं करने के बावजूद क्लबों को साल दर साल दुर्गा पूजा आयोजित करने के लिए धनराशि वितरित की जा रही है। राज्य के वकील ने कहा कि इस मुद्दे पर एक याचिका का निपटारा अक्टूबर 2020 में उच्च न्यायालय ने कर दिया था और अदालत के निर्देश के अनुसार सरकार द्वारा एक रिपोर्ट भी दायर की गई थी।
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