दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद के ‘‘केंद्र’’ के रूप में देखती है : एस. जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद के ‘‘केंद्र’’ के रूप में देखती है और पाकिस्तान को अपनी हरकतों में सुधार कर एक अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र, 16 दिसंबर 2022, (आरएनआई)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद के ‘‘केंद्र’’ के रूप में देखती है और पाकिस्तान को अपनी हरकतों में सुधार कर एक अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करनी चाहिए।
विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के भारत के पड़ोसी देश पर दिए बयान को भी दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो लोग अपने आंगन में सांप पालते हैं, वे सांप एक दिन उन्हें ही डस लेते है।
भारत की अध्यक्षता में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कार्यक्रम ‘ग्लोबल काउंटर टेररिज्म अप्रोच: चैलेंज एंड वे फॉरवर्ड’ के बाद जयशंकर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान उक्त टिप्पणी की।
जयशंकर पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार के हालिया आरोप पर पूछे गए ‘पीटीआई-भाषा’ के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। खार ने आरोप लगाया था कि ‘‘आतंकवाद का इस्तेमाल भारत से बेहतर अन्य किसी देश ने नहीं किया है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ खार ने जो कहा है, मैंने उससे जुड़ी खबरें देखी हैं। मुझे अच्छी तरह याद है, करीब एक दशक से भी पहले जब हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान की यात्रा की थी, हिना रब्बानी तब मंत्री थीं। उनके साथ खड़े होकर हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि यदि सांप आपके आंगन में है तो आप उससे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह केवल आपके पड़ोसी को ही डसेगा । अंतत: वह उसे आंगन में रखने वाले लोगों को भी डसेगा, लेकिन जैसा कि आपको पता है पाकिस्तान अच्छी सलाह जल्दी से नहीं मानता। आपको पता ही है कि वहां क्या हो रहा है।’’
क्लिंटन ने अक्टूबर 2011 में अपनी इस्लामाबाद यात्रा के दौरान पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री खार के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘ यह उस पुरानी कहानी की तरह है... आप अपने आंगन में सांप पालकर यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे केवल आपके पड़ोसियों को डसेंगे। अंतत: वे सांप उसे आंगन में रखने वालों को भी डसेंगे।’’
हिलेरी क्लिंटन ने कहा था, ‘‘ हमने हक्कानी नेटवर्क और अन्य आतंकवादियों के खातमे के लिए पाकिस्तान से विशेष रूप से अधिक सहयोग करने को कहा है, क्योंकि हम जानते हैं कि सीमा के केवल एक ओर आतंकवादियों और उनके ठिकानों को खत्म करने के प्रयासों से काम नहीं चलने वाला।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ ... दुनिया आज उन्हें (पाकिस्तान को) आतंकवाद के केंद्र की तरह देखती है। मुझे पता है कि हम ढाई साल से कोविड-19 (वैश्विक महामारी) से जूझ रहे हैं और इस कारण यादें थोड़ी धुंधली हो गई हैं, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि दुनिया यह भूली नहीं है कि आतंकवाद की जड़ कहां है और क्षेत्र में तथा क्षेत्र के बाहर तमाम गतिविधियों पर किसकी छाप नजर आती है।’’
उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की गलतफहमी में जीने से पहले उन्हें खुद को यह बात याद दिलानी चाहिए।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने एक ‘डोज़ियर’ साझा करते हुए मुंबई आतंकवादी हमले के सरगना हाफिज सईद के लाहौर स्थित घर के बाहर पिछले साल 23 जून को हुए विस्फोट में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया था।
एक पाकिस्तानी पत्रकार ने जयशंकर से पूछा कि दक्षिण एशिया कब तक यह मानता रहेगा कि नई दिल्ली, काबुल और पाकिस्तान से ही आतंकवाद फैलता है। इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ जब आप कहते हैं कि हम ऐसा कब तक करेंगे... तो आप जानते हैं, आप गलत मंत्री से यह सवाल कर रहे हैं.. क्योंकि पाकिस् तान के मंत्री ही आपको बता सकते हैं कि पाकिस् तान कब तक आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ दुनिया मूर्ख नहीं है, दुनिया भूली नहीं है। विश्व लगातार उन देशों, संगठनों व लोगों की निंदा करता है जो आतंकवादी कृत्यों में संलिप्त हैं। चर्चा को किसी ओर दिशा में ले जाकर आप इसे छुपा नहीं सकते। अब आप किसी को भी और भ्रमित नहीं कर सकते। लोगों को अब समझ आ गया है। इसलिए, मेरी सलाह है कि कृपया अपनी हरकतों में सुधार करें और एक अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करें। कृपया कोशिश करें और बाकी दुनिया की तरह आर्थिक तरक्की, प्रगति और विकास में योगदान देने की कोशिश करें।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि आपके जरिए यह संदेश पहुंच जाएगा।’’
अफगानिस्तान के संदर्भ में किए गए एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि पिछले साल अगस्त में तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव के माध्यम से अफगानिस्तान के संबंध में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को जाहिर किया है।
सुरक्षा परिषद ने अपने प्रस्ताव 2593 (2021) में कहा था कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए, किसी देश को डराने या उस पर हमला करने, आतंकवादियों को पनाह देने या प्रशिक्षित करने या साजिश रचने और उन्हें वित्त मदद मुहैया कराने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
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