दुनिया के सबसे बड़े सिविल इंजीनियर के बारे में जानते है डॉ सुमित्रा जी से
विश्वकर्मा ब्रह्मा के मानस पुत्र है और देवताओं के समस्त निर्माण कार्य करते है ।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा दुनिया के सबसे बड़े सिविल इंजीनियर माने जाते हैं। वास्तृशास्त्र के १८ आचार्यो में उनका भी नाम आता है । उनके द्वारा रचाई हुई नगरी , अमरावती तथा देवताओं के समस्त सभाओं का आविष्कार भगवान विश्वकर्मा के द्वारा किया गया है ।
भगवान विश्वकर्मा का वाहन हंस है और उनके तीन नेत्र है । कहा जाता है की विश्वकर्मा ब्रहस्पति के भांजे है ओर अष्ट वसु में से प्रभासवास के पुत्र है । अपराजित परंपरा में वर्णन है की प्रभास वसु ने महर्षि भृगु की बहन से शादी की थी । इस मत को ज्यादा लोग नहीं मानते है । आठ वाशु वसु क्रमश : घर , द्रव्य , सोम , अह,अनल, अनिल , प्रत्युष और प्रभास है । जैसे अग्नि कला , वाहन कला , भवन कला अलंकरण कला इत्यादि इत्यादि । विश्वकर्मा तकनीकी पक्ष के सबसे बड़े प्रवर्तक है और कहा जाता है की पृथ्वी की प्रथम स्थपति विश्वकर्मा ने ही रची थी ।
भगवान विश्वकर्मा को प्रथम आर्किटेक्ट के रूप में भी जाना जाता है । प्रारंभ की माने तो विश्वकर्मा पोरोहित्य कर्म के भी आचार्य थे। पर उन्हें ब्रह्माजी के द्वारा पोरोहित्य कार्य करने से मना किया गया था। ये सब प्रतीकात्मक है,क्यों की उन्हें विश्व के दैवीय का अधिपति माना जाता है ।
भगवान विश्वकर्मा की जयंती के दिन बहुत धूम धाम से भगवान विश्वकर्मा की पूजा की कथा की जाती है । इस दिन पूरे भारत में , छोटी - बड़ी सभी संस्थानों की फैक्ट्री में भगवान विश्वकर्मा की जयंती को धामधूम से मनाते है । भगवान विश्वकर्मा को मशीनों का भी देवता माना गया है । उस दिन बस , टैक्सी , कंप्यूटर , जैसी तमाम मशीनों की पूजा की जाती है ।
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