दुनिया की सबसे बड़ी हमिंग बर्ड की दूसरी प्रजाति खोजी
अध्ययन के अनुसार कुछ विशालकाय हमिंग बर्ड प्रवासित हुए थे, लेकिन दो आबादियों से जीनोम सिक्वेंसिंग के बाद ही पता लगा कि वे कितने अलग हैं। वे एक-दूसरे से उतने ही अलग हैं जितने चिम्पैंजी, बोनोबोस से होते हैं।
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नई दिल्ली (आरएनआई) विशालकाय हमिंग बर्ड की एक नहीं बल्कि दो प्रजातियां हैं। उत्तरी आबादी साल भर ऊंचे एंडीज में रहती है जबकि दक्षिणी आबादी बिना प्रजनन वाले महीनों में समुद्र तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर प्रवास करती है। दोनों प्रजातियां एक जैसी दिखाई देती हैं, लेकिन उनके जीनोम और व्यवहार अलग-अलग हैं। ये पक्षी रूबी-थ्रोटेड हमिंग बर्ड के आकार से लगभग आठ गुना बड़े है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध अध्ययन में इसका खुलासा किया गया है। अध्ययन के अनुसार, कुछ विशालकाय हमिंग बर्ड प्रवासित हुए थे, लेकिन दो आबादियों से जीनोम सिक्वेंसिंग के बाद ही पता लगा कि वे कितने अलग हैं। वे एक-दूसरे से उतने ही अलग हैं जितने चिम्पैंजी, बोनोबोस से होते हैं। दोनों प्रजातियां अपने भारी ऊंचाई वाले शीतकालीन मैदानों पर रहती हैं। यह आश्चर्यजनक है कि अब तक किसी ने भी हमिंग बर्ड के रहस्य का पता नहीं लगाया जबकि ये दोनों प्रजातियां लाखों वर्षों से अलग हैं। हमिंग बर्ड लुप्तप्राय या गंभीर रूप से लुप्तप्राय सूची में शामिल हैं।
इन्हें उत्तरी और दक्षिणी विशाल हमिंगबर्ड के नाम से जाना जाएगा...शोधकर्ताओं ने इन्हें उत्तरी विशाल हमिंग बर्ड और दक्षिणी विशाल हमिंग बर्ड नाम दिया है । दक्षिणी प्रवासी प्रजाति का लैटिन नाम पैटागोना गिगास बरकरार रहेगा। उत्तरी आबादी के लिए प्रस्तावित वैज्ञानिक नाम पेटागोना चास्की है। चास्की का अर्थ मैसेंजर है। क्वेशुआ स्वदेशी भाषाओं के एक परिवार का नाम है जो पेरू से अन्य पड़ोसी देशों तक फैला हुआ है।
इनकी छोटी-छोटी जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने पेरू और चिली के जमींदारों और ग्राम वासियों के स्थानीय ज्ञान पर भरोसा किया। पेरू के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी से इन पक्षियों के बारे में काफी जानकारी रखते थे।
विशालकाय हमिंग बर्ड को पकड़ना बहुत चुनौतीपूर्ण है। वे हर चीज पर नजर रखते हैं और अपने क्षेत्र को अच्छी तरह से जानते हैं। इन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछाने की जगह चुनना सबसे ज्यादा मुश्किल कार्य है।
शोधकर्ता अब यह पता लग रहे हैं कि ये दोनों रूप कहां एक साथ आते हैं और वे कैसे बातचीत करते हैं। क्या वे प्रतिस्पर्धा करके एक-दूसरे पर हावी होने का प्रयास करते हैं। वे संसाधनों का विभाजन कैसे कर सकते हैं और क्या वे शीतकालीन सीमा के भीतर मिश्रित या स्थानिक रूप से अलग होते हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि यह विशाल पक्षी इतनी लंबी यात्राएं कैसे कर लेते हैं। एक तरह से यह छोटे पर्वतारोहियों की तरह अपने शरीर को सुविधा के अनुसार लोचदार बना लेते हैं। टीम की योजना इन रहस्यमय पक्षियों पर शोध जारी रखने की है।
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