'दिल्ली में मिलकर लड़ना था चुनाव', प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने की कांग्रेस-आप के बीच गठबंधन की वकालत
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत और आप-कांग्रेस की हार पर नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच एकता को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों को दिल्ली चुनाव एक साथ मिलकर लड़ना चाहिए था।
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कोलकाता (आरएनआई) बीते आठ फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के रिजल्ट का एलान हुआ। इसमें भाजपा ने आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस समेत छोटी-बड़ी पार्टियों को मात देकर दिल्ली की सत्ता में प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की। इसी बीच आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की इस हार पर नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने प्रतिक्रिया दी है।
नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच एकता की मजबूत जरूरत की बात की है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों को दिल्ली चुनाव एक साथ मिलकर लड़ना चाहिए था। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में अपने पैतृक घर पर एक इंटरव्यू के दौरान सेन ने कहा कि यदि भारत में धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखना है, तो न केवल एकता होनी चाहिए, बल्कि उन बुनियादी बातों पर सहमति भी होनी चाहिए, जिन्होंने भारत को बहुलवाद का बेहतरीन उदाहरण बनाया है।
सेन ने आगे कहा कि दिल्ली चुनाव के नतीजों को ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर नहीं पेश किया जाना चाहिए, लेकिन निश्चित तौर पर इसका अपना महत्व है। अगर आप जीत जाते, तो उस जीत का अपना मतलब होता। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली चुनाव में आप की हार के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण उन लोगों के बीच एकता की कमी थी।
साथ ही सेन ने कहा कि आप की स्पष्ट नीतियों की कमी भी हार का कारण थी। आप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि आप पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष हैं और सभी भारतीयों के लिए हैं। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को ज्यादा महत्व दिया गया था, और आप ने धार्मिक सांप्रदायिकता के खिलाफ कितनी प्रतिबद्धता है यह भी स्पष्ट नहीं किया।
सेन ने आप के स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के प्रयासों की सराहना की और कहा कि कांग्रेस को इन मुद्दों पर आप के साथ मिलकर काम करना चाहिए था। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी और उसके परिवार ने दिल्ली में आप के प्रयासों की तारीफ की, खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में। सेन के अनुसार, कांग्रेस और आप मिलकर यह कह सकते थे कि "हमें उनके स्कूल और अस्पताल पसंद हैं, हम इनको और बेहतर बनाना चाहते हैं।
इसके साथ ही सेन ने यह भी कहा कि दिल्ली चुनाव में विपक्षी दलों का ध्यान सार्वजनिक सेवाओं की बजाय शराब लाइसेंस और कर कानूनों पर था, जिससे चुनावी नतीजे प्रभावित हुए। उन्होंने यह सुझाव दिया कि आप को धर्मनिरपेक्षता, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए था और इन मुद्दों पर कांग्रेस के साथ मिलकर काम करना चाहिए था।
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