दिग्विजय सिंह ने भाई लक्ष्मण सिंह की किताब का किया विमोचन, राघोगढ़ और डेली कॉलेज की समृद्ध यादों का है संस्मरण

राघोगढ़ डायरीज़ मध्य प्रदेश के प्राचीन नगर राघोगढ़ के समृद्ध और गतिशील इतिहास को बयां करती है, जिसमें इसकी राजसी विरासत से लेकर इसके समकालीन संघर्ष और विजय तक का वर्णन है।

Feb 24, 2025 - 22:09
Feb 24, 2025 - 22:10
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इंदौर (आरएनआई) मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह की पुस्तक "Raghogarh Diaries" का इंदौर स्थित डेली कॉलेज में विमोचन किया गया। सोमवार शाम डेली कॉलेज के धीरू भाई ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह, लक्ष्मण सिंह, डेली कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ गुनमीत बिंद्रा सहित सिंह परिवार के सदस्य और उनके करीबी मित्र उपस्थित रहे।

विमोचन के मौके पर पुस्तक के लेखक व कांग्रेस नेता लक्ष्मण सिंह ने बताया कि एक साल में "राघोगढ़ डायरीज" तैयार हुई है जिसमें उन्होंने राघोगढ़ स्टेट के इतिहास से लेकर अपने बचपन और स्कूली जीवन की यादों को समेटा है। वहीं, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भाई लक्ष्मण सिंह द्वारा लिखित पुस्तक के विमोचन के मौके पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि काश यह पुस्तक इतनी पढ़ी जाए कि इसके ऊपर एक फिल्म भी बने। उन्होंने कहा कि अगर कोई फिल्म बनाना चाहे तो "कश्मीर फाइल्स" और "केरल स्टोरी" से अच्छी फिल्म "राघोगढ़ डायरीज़" बनेगी। 

इस दौरान डेली कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ गुनमीत बिंद्रा ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है जब डेली कॉलेज से ही पढ़े हुए शख्स की पुस्तक का यहां विमोचन हो रहा है। हम अपनी लाइब्रेरी में इस पुस्तक को विशिष्ट स्थान देंगे और डेली कॉलेज के पूर्व छात्रों द्वारा लिखित सभी किताबों के लिए लाइब्रेरी में अलग से कॉर्नर भी बनाएंगे।

पुस्तक के बारे में
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"राघोगढ़ डायरीज़” मध्य प्रदेश के प्राचीन नगर राघोगढ़ के समृद्ध और गतिशील इतिहास को बयां करती है, जिसमें इसकी राजसी विरासत से लेकर इसके समकालीन संघर्ष और विजय तक का वर्णन है। यह पुस्तक लेखक के परिवार के जीवन और विरासत पर प्रकाश डालती है साथ ही व्यक्तिगत कहानियों को ऐतिहासिक घटनाओं के साथ मिलाकर एक जीवंत चित्रण प्रदान करती है। इसमें 18वीं शताब्दी में राघोगढ़ राजघराने की स्थापना से लेकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता के बाद के शासन में राघोगढ़ की भूमिका और विकास का वर्णन है। 

यह पुस्तक राजनीति, सामाजिक न्याय और पर्यावरण संरक्षण पर एक अंदरूनी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। लेखक ने अपने बचपन के मजेदार किस्सों से लेकर राजनीतिक चुनौतियों, वन संरक्षण प्रयासों और सामाजिक असमानता पर मार्मिक किस्से भी साझा किए हैं। यह पुस्तक भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तनों पर भी प्रकाश डालती है।

लेखक के बारे में
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"राघोगढ़ डायरीज़” पुस्तक के लक्ष्मण सिंह पांच बार संसद के सदस्य तथा तीन बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। उनके बड़े भाई दिग्विजय सिंह वर्तमान में राज्यसभा के सांसद हैं और 1993 से 2003 तक दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं।उनके दिवंगत पिता बालभद्र सिंह 1951 के चुनावों के बाद राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधान सभा के सदस्य चुने गए थे और राघोगढ़ की पूर्व रियासत के शासक थे। बलभद्र सिंह ने 1951 में गांधीवादी आचार्य विनोबा भावे द्वारा शुरू किए गए भूदान आंदोलन से जुड़कर भूमि का एक बड़ा हिस्सा दान कर दिया था।

लक्ष्मण सिंह ने डेली कॉलेज, इंदौर और सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से पढ़ाई की है। 1994 में वे उपचुनाव में 10वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1996 के आम चुनाव में वे 11वीं लोकसभा में दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए और 1998 के आम चुनाव में 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1999 के आम चुनाव और 14वीं लोकसभा (2004-2009) में भी वह राजगढ़ से पुनः चुनाव जीते। 

सांसद और विधान सभा के सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने जनसंख्या और विकास से संबंधित मुद्दों जैसे ICPD कार्य योजना की जोरदार वकालत की। लक्ष्मण सिंह को AFPPD (जनसंख्या और विकास पर सांसदों का एशियाई मंच) का उपाध्यक्ष भी चुना गया। AFPPD में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 2002 में जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा आयोजित "Earth Summit on Sustainable Development" में भाग लिया।


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