ताइवान की सीमा में घुसे 14 युद्धपोत और 153 विमान
चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। अब तक चीन ने सीधे इस पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे जोन में करता है।
ताइपे (आरएनआई) चीन और ताइवान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। बीजिंग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।एक बार फिर चीनी सेना ने ताइवान की सीमा में घुसपैठ की कोशिश की। ताइवान की सेना ने भी इसका जवाब दिया। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन के विमान, नौसैनिक पोत और जहाज ताइवान की सीमा के करीब देखे गए।
ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय (एमएनडी) ने बताया कि मंगलवार सुबह छह बजे ताइवान के आसपास चीनी 14 नौसैनिक पोत और 12 आधिकारिक जहाज देखे गए। जबकि 153 सैन्य विमानों को उड़ान भरते देखा गया। सेना ने बताया कि 153 विमानों में से 111 ने ताइवान स्ट्रेट की मध्य रेखा को पार किया और ताइवान के पूर्वी वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) में प्रवेश किया। बता दें चीन और ताइवान के बीच यह जल संधि एक अनौपचारिक सीमा है।
इसके जवाब में ताइवान ने चीन की गतिविधि की निगरानी के लिए विमान, नौसैनिक जहाजों और वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों को तैनात किया। एमएनडी ने यह जानकारी सोशल मीडिया मंच एक्स पर दी।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, 'आज सुबह 153 विमान , 14 पोत और 12 जहाज ताइवान के आसपास नजर आए। 111 विमानों ने ताइवान स्ट्रेट की मध्य रेखा को पार किया और ताइवान के उत्तरी, मध्य, दक्षिण-पश्चिमी और दक्षिणपूर्वी एडीआईजेड में प्रवेश किया। हम स्थिति पर नजर बनाए रखे हुए हैं।'
चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। अब तक चीन ने सीधे ताइवान पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे जोन में करता है। ये चीन की सेना का एक पैंतरा है, जिससे वो सीधे युद्ध तो नहीं करती लेकिन ये शक्ति प्रदर्शन करती है। ग्रे जोन का मतलब है कि कोई देश सीधा हमला नहीं करता है लेकिन इस तरह का डर हमेशा बनाए रखता है। सीधे सैन्य कार्रवाई की जगह, ऐसी कई चीजें होती रहती हैं, जिनसे हमले का डर बना रहता है। ताइवान के साथ चीन यही कर रहा है। चीन सितंबर 2020 से 'ग्रे जोन' रणनीति का अधिक बार उपयोग कर रहा है।
ग्रे जोन युद्ध रणनीति दरअसल, एक तरीका है, जिससे लंबी अवधि में धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी को कमजोर कर दिया जाता है और चीन ताइवान के साथ ठीक यही करने की कोशिश कर रहा है।
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