डॉ.मोहंती ने नीट परीक्षा में पारदर्शिता लाकर कीर्तिमान स्थापित कर दिया
नई दिल्ली। (आरएनआई) कहते हैं। कमल कीचड़ में खिलते है,जिसका फूलों में कोई सानी नहीं होता है।ऐसे ही धरती पर महान व्यक्तियों का जन्म सदैव गुमनाम स्थानों एवं परिस्थियों में होता है।ऐसे कई उदाहरण हैं।इसमें स्वामी विवेकानंद से लेकर देशरत्न डॉ.राजेंद्र प्रसाद एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का नाम शामिल है।
ऐसे ही एक महान हस्ती हैं, आजाद भारत में चिकित्सा क़े क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करने बाले नीट के पूर्व चेयरमैन डॉ.एन.के. मोहंती, जिन्होंने न सिर्फ यूरोलॉजी चिकित्सा को नव आयाम दिया, वल्कि देश को मेधावी चिकित्सक उपलव्ध कराने के लिए नीट परीक्षा में पारदर्षिता लाकर एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया।वह 2013 में नीट के चेयरमैन थे।इससे पहले सफदरजंग के चिकित्सा अधीक्षक एवं स्वास्थ्य मंत्रालय में एडीजी रहे।
डॉ.मोहंती का जन्म पिछड़े प्रान्त ओडिसा के बालासौर में एक सामान्य परिवार में हुआ। उन्होंने उत्कल विश्वविद्यालय से वर्ष 1974 में एम.बी.बी.एस. की डिग्री हासिल कर वहीँ से वर्ष 1978 में एम.एस. की पढाई पूरी की।वर्ष 1984 में एम्स दिल्ली से एम.सीएच(यूरो)की शिक्षा ली।
उन्होंने चिकित्सक के रूप में अपनी कैरियर की शुरुआत श्रीनगर से की और कुछ ही समय के पश्चात दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में यूरोलॉजी विभाग के संस्थापक प्रमुख बन गए।उस समय यूरोलॉजी से संबंधित रोगों का बेहत्तर इलाज सिर्फ एम्स दिल्ली में हुआ करता था,क्योंकि यूरोलॉजी विभाग सिर्फ वहीँ था।
मेधावी प्रतिभा के धनी डॉ.मोहंती ने बेहत्तर इलाज के लिए फ़्रांस एवं जर्मनी में प्रशिक्षण ग्रहण किया।उनके 178 शोध पत्र देश एवं 78 शोध पत्र विदेश के जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं।कई संस्थानों एवं संगठनों से जुड़े डॉ.मोहंती को कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
डॉ.मोहंती ने कड़ी मेहनत एवं लगन के बदौलत न सिर्फ लाखों पीड़ितों को मूत्र एवं यौन रोग की समस्या से निजात दिलाई,वल्कि चिकित्सा के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किये।
डॉ.मोहंती कहते हैं, कि यूरोलॉजी का आज देश में काफी विकास हो चुका है।40 प्रतिशत ऑपरेशन इसी क्षेत्र के रोगियों के हो रहे हैं।आज स्थिति यह है,कि मूत्र एवं यौन रोग से पीड़ित दुनियां भर के रोगी भारत इलाज कराने आते हैं।खासकर एशियाई देशों के मरीजों की संख्या काफी अधिक है।
उन्होंने कहा कि पहले की अपेक्षा इन रोगियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।इसके कई कारण हैं।इसमें अनियंत्रित खानपान, रहन सहन,जलवायु परिवर्तन एवं अन्य कई कारण है।इसलिए इसकी रोक थाम के लिए लोगों में जागरूकता जरुरी है।एल.एस।
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