टिकट न मिलने पर शिवसेना विधायक का फूटा गुस्सा, कहा- सीएम शिंदे का पक्ष लेकर की भारी गलती
शिवसेना में विभाजन के बाद वनगा ने शिंदे का समर्थन किया था। वह पार्टी द्वारा सीट से फिर से नामांकित होने की उम्मीद कर रहे थे। पार्टी ने गावित को उम्मीदवारी दे दी।
मुंबई (आरएनआई) महाराष्ट्र के पालघर से शिवसेना के मौजूदा विधायक श्रीनिवास वनगा पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का साथ देकर और उनकी पार्टी में शामिल होकर भारी गलती की है।
भाजपा के दिवंगत सांसद चिंतामन वनगा के बेटे श्रीनिवास पालघर (अनुसूचित जनजाति) सीट से अविभाजित शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में 2019 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद विधायक बने थे। शिवसेना में विभाजन के बाद वनगा ने शिंदे का समर्थन किया। वह पार्टी द्वारा सीट से फिर से नामांकित होने की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि, पार्टी ने रविवार को 20 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें पालघर सीट से राजेंद्र गावित को उम्मीदवारी दी। बता दें, गावित ने जून 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने पर शिंदे का पक्ष लिया था।
गावित को पालघर की सीट से उतारे जाने पर वनगा सीएम शिंदे से नाराज हैं। उन्होंने सोमवार को कहा, 'मैंने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट में शामिल होकर एक गंभीर गलती की है।' इतना ही नहीं उन्होंने शिंदे के प्रतिद्वंद्वी और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को 'देव मानुस' (ईश्वर के समान व्यक्ति) बताया। कहा कि उद्धव ठाकरे जैसे भगवान स्वरूप आदमी को छोड़ना उनके परिवार की सबसे बड़ी गलती थी।
श्रीनिवास का आरोप है कि शिंदे ने उन्हें धोखा दिया है। बगावत के वक्त साथ देने वाले 40 में से 39 विधायकों को दोबारा टिकट दिया गया है लेकिन उन्हें ही टिकट नहीं दिया गया। श्रीनिवास के परिवारवालों का कहना है कि वह डिप्रेशन में चले गए हैं। रविवार से खाना नहीं खाया है और लगातार रो रहे हैं। वह आत्महत्या करने की बात कह रहे हैं।
जब मुख्यमंत्री को वनगा के हालत के बारे में पता चला तो उन्होंने उनकी पत्नी से बातचीत की। साथ ही आश्वासन दिया कि उनके पति को महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य के रूप में भूमिका देने पर विचार किया जाएगा।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव होंगे और 23 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। महाराष्ट्र में एक ही चरण में चुनाव होगा। महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं, जिसमें बहुमत के लिए 145 सीट चाहिए होती हैं। 2019 के चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 और अन्य को 29 सीटें मिली थीं।
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