झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को राहत नहीं
हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उन पर जमीन से जुड़े घोटाले के मामले में धन शोधन का आरोप है। पूर्व सीएम फिलहाल रांची की बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।
नई दिल्ली (आरएनआई) झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर राहत नहीं मिली। अदालत ने सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही कड़ी फटकार लगाई। दरअसल, सोरेन ने हाल ही में कोर्ट में याचिका दायर कर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर खुद के लिए जमानत मांगी थी।
शीर्ष अदालत ने सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। साथ ही सच को दबाने के लिए फटकार लगाई। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया है कि ट्रायल कोर्ट ने मामले में आरोपपत्र का संज्ञान लिया है। वहीं, फटकार के बाद हेमंत सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अंतरिम जमानत की मांग वाली याचिका वापस ले ली।
इससे एक दिन पहले 21 मई को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी सोरेन की अंतरिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सवाल किया था कि अगर ट्रायल कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेकर जमानत को खारिज कर दिया है तो क्या गिरफ्तारी की वैधता का परीक्षण हो सकता है? कोर्ट ने हेमंत सोरेन के वकील से पूछा था कि नियमित जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें कैसे अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
13 मई को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने शुरू में मामले की सुनवाई 20 मई को सूचीबद्ध की थी लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि तब तक चुनाव खत्म हो जाएगा और अगर मामले में लंबी तारीख दी गई तो वह पक्षपात का शिकार होंगे, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 17 मई के लिए निर्धारित कर दी। सिब्बल ने सोरेन का पक्ष रखते हुए पीठ को बताया था, 'उनका मामला भी अरविंद केजरीवाल के आदेश के हूबहू है और उन्हें भी प्रचार अभियान के लिए जमानत की जरूरत है।
पीठ ने कहा था कि इस सप्ताह बहुत ज्यादा काम है और बहुत से मामले सूचीबद्ध हैं। शीर्ष अदालत ने तारीख 20 मई से बदलने पर अनिच्छा जताई थी, लेकिन सोरेन की ओर से पेश हुए सिब्बल और वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणाभ चौधरी के अनुरोध पर सुनवाई की तारीख को बदलकर 17 मई कर दिया गया था। पीठ ने कहा था, 'हमें नहीं पता कि मामले पर सुनवाई हो पाएगी या नहीं लेकिन फिर भी हम इसे 17 मई के लिए सूचीबद्ध कर रहे हैं।
ईडी ने इसका विरोध किया था और कहा था कि सोरेन का केस दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से अलग है। अगर प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई तो इस तरह के कई नेताओं के मामले कोर्ट के सामने आएंगे। ऐसे मामलों की बाढ़-सी आ जाएगी।
सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी, जिसे अदालत ने तीन मई को खारिज कर दिया, जिसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख किया। सोरेन ने गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर अदालत का फैसला आने तक लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत भी मांगी थी। शीर्ष अदालत ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी थी। केजरीवाल को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उन पर जमीन से जुड़े घोटाले के मामले में धन शोधन का आरोप है। पूर्व सीएम फिलहाल रांची की बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। सोरेन ने लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। हाईकोर्ट ने 10 मई को सोरेन की याचिका के लिए उच्च न्यायालय से निर्देश मांगे थे।
सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन से जुड़ी है। ईडी का आरोप है कि इसे अवैध रूप से कब्जे में लिया गया था। एजेंसी ने सोरेन, प्रसाद और सोरेन के कथित 'फ्रंटमैन' राज कुमार पाहन और हिलारियास कच्छप तथा पूर्व मुख्यमंत्री के कथित सहयोगी बिनोद सिंह के खिलाफ 30 मार्च को यहां विशेष पीएमएलए अदालत में आरोपपत्र दायर किया था। सोरेन ने रांची की एक विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित और उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी।
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