जेल में बंद इमरान के लेख पर बवाल
‘इमरान खान ने आगाह किया कि पाकिस्तान चुनाव तमाशा हो सकता है’ शीर्षक से ‘द इकोनॉमिस्ट’ में गुरुवार को लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख के सामने आने पर सियासी बवाल मच गया है।
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इस्लामाबाद (आरएनआई) पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि वह जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के हवाले से एक लेख के प्रकाशन को लेकर एक ब्रिटिश मीडिया संस्थान से संपर्क करेगी क्योंकि इस लेख ने संपादकीय निर्णय और विषय-वस्तु की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।
‘द इकोनॉमिस्ट’ में गुरुवार को ‘इमरान खान ने आगाह किया कि पाकिस्तान चुनाव तमाशा हो सकता है’ शीर्षक से लेख प्रकाशित हुआ। लेख में इस बात पर काफी संदेह जताया गया है कि क्या पाकिस्तान में आठ फरवरी को होने वाला चुनाव घोषणा के अनुसार होगा। खान ने लेख में अमेरिका के दबाव में प्रतिष्ठान द्वारा 2022 में सत्ता से उन्हें साजिशन हटाने और चुनावों में समान अवसर न दिए जाने की बात दोहराई है। इस लेख को पाकिस्तान सरकार और अमेरिका के विदेश विभाग ने पहले ही खारिज कर दिया है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अडियाला जेल में बंद हैं और उन पर कई अन्य मुकदमे चलाए जा रहे हैं।
कार्यवाहक सूचना मंत्री मुर्तजा सोलांगी ने शुक्रवार को कहा कि जेल में बंद खान के हवाले से लिखे एक लेख के संबंध में ब्रिटिश प्रकाशन ‘द इकोनॉमिस्ट’ के संपादक को सरकार पत्र लिखेगी। उन्होंने कहा कि यह हैरान और परेशान करने वाली बात है कि इतने प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान ने एक ऐसे व्यक्ति के नाम से लेख प्रकाशित किया है, जो जेल में है और जिसे दोषी ठहराया गया है।
पूर्व पत्रकार सोलांगी के हवाले से कहा गया है कि ‘हमारा मानना है कि नैतिक मानदंडों को बरकरार रखना और जिम्मेदार पत्रकारिता को बढ़ावा देना अत्यधिक आवश्यक है।’ उन्होंने कहा, ‘हम यह जानना चाहते हैं कि संपादकीय निर्णय कैसे लिए जाते हैं और द इकोनॉमिस्ट द्वारा सामग्री की वैधता एवं विश्वसनीयता के संदर्भ में क्या ध्यान में रखा जाता है।
खान की पार्टी के सूत्र इस पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं कि यह लेख जेल के भीतर से ब्रिटिश मीडिया संस्थान तक कैसे पहुंचाया गया। हालांकि, उन्होंने यह माना कि लेख निश्चित रूप से खान के शब्दों में लिखा गया है। कुछ पर्यवेक्षकों ने इस पर संदेह जताया है कि क्या लेख वाकई खान ने लिखा है, लेकिन कई पर्यवेक्षकों का कहना है कि लेख की भाषा और विषय-वस्तु खान के विचारों के अनुरूप है।
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