जेएनयू में हिंसा करने और धरना देने पर लगेगा 50 हजार रुपये का जुर्माना

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के नए नियमों के अनुसार परिसर में धरना देने पर छात्रों पर 20 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका दाखिला रद्द हो सकता है। वहीं हिंसा करने पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

Mar 2, 2023 - 17:30
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जेएनयू में हिंसा करने और धरना देने पर लगेगा 50 हजार रुपये का जुर्माना
जेएनयू

नयी दिल्ली, 2 मार्च 2023, (आरएनआई)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के नए नियमों के अनुसार परिसर में धरना देने पर छात्रों पर 20 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका दाखिला रद्द हो सकता है। वहीं हिंसा करने पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

नए नियमों के अनुसार किसी छात्र पर शारीरिक हिंसा, किसी दूसरे छात्र, कर्मचारी या संकाय सदस्य को गाली देने और पीटने पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

छात्रों और शिक्षकों ने नए नियमों के लिए विश्वविद्यालय की निंदा की है और इन्हें “काले” नियम करार दिया है।

इस बीच, जेएनयू छात्र संघ ने नए नियमों पर चर्चा करने के लिए बृहस्पतिवार को सभी छात्र संगठनों की एक बैठक बुलाई है।

दस पृष्ठ के ‘जेएनयू छात्रों के अनुशासन व उचित आचरण नियम’ में विरोध प्रदर्शन और जालसाजी जैसे विभिन्न प्रकार के कृत्यों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने पर 5 हजार रुपये से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और दाखिला रद्द किया जा सकता है।

नियमों के दस्तावेज के अनुसार, नियम 3 फरवरी को लागू हो चुके हैं। ये नियम ऐसे समय में लागू हुए हैं जब ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) का एक वृत्तचित्र दिखाए जाने को लेकर विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

दस्तावेज में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद ने नए नियमों को मंजूरी दे दी है।

हालांकि, कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने बताया कि एक एजेंडे के तहत यह मुद्दा सामने रखा गया है। उन्होंने कहा कि मामलों को अदालत में ले जाने की नीयत से ये नियम तैयार किए गए हैं और इस मामले पर कोई उचित चर्चा नहीं हुई।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के जेएनयू सचिव विकास पटेल ने नए नियमों को तुगलकी फरमान करार दिया। उन्होंने दावा किया कि पुरानी आचार संहिता काफी प्रभावी थी। उन्होंने इस आचार संहिता को वापस लेने की मांग की।

जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने ‘पीटीआई-भाषा’ की ओर से भेजे गए संदेशों और फोन कॉल का जवाब नहीं दिया।

दस्तावेज में कहा गया है कि नियम विश्वविद्यालय के सभी छात्रों पर लागू होंगे, जिनमें अंशकालिक छात्र भी शामिल हैं। नियम लागू होने से पहले या बाद में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों पर ये नियम लागू होंगे।

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