जूनियर डॉक्टर्स-ममता सरकार के बीच गतिरोध बरकरार; 40वें दिन भी काम बंद, फिर CM से मिलने की मांग की
अस्पताल के सेमिनार कक्ष में नौ अगस्त को प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मिलने के बाद से घटना के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे हैं। इस सिलसिले में टीएमसी सरकार और पश्चिम बंगाल पुलिस लगातार कठघरे में है।
कोलकाता (आरएनआई) पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले को एक महीना से अधिक समय बीत चुका है। मगर, राज्य सरकार, पुलिस और सीबीआई अभी तक सच का पता नहीं लगा पाए हैं। इससे देशभर में नाराजगी है। जूनियर डॉक्टर लगातार आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के स्वास्थ्य भवन के पास विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बुधवार को भी अपना काम बंद रखा। वह दिन-रात न देखते हुए बस न्याय दिलाने के अपने संकल्प पर अडिग हैं। साथ ही वह स्वास्थ्य सचिव को हटाने की मांग कर रहे हैं।
घटना के बाद देशभर के डॉक्टर सड़कों पर उतर आए थे। इससे मरीजों को दिक्कत होने लगी। इस पर नौ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सभी डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया था। शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर काम से लगातार गायब रहे, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। हालांकि, फिर भी जूनियर डॉक्टर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
डॉक्टरों ने स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय 'स्वास्थ्य भवन' के बाहर अपना धरना जारी रखा। काम बंद किए आज 40 दिन हो गए। प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर का साफ कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वह धरना जारी रखेंगे। यह लोग स्वास्थ्य सचिव एन एस निगम को हटाने की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने कहा, 'ध्वस्त हो चुकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के पुनर्निर्माण के लिए स्वास्थ्य सचिव एन.एस. निगम को हटाना तथा सरकारी अस्पतालों में खतरे की संस्कृति को समाप्त करना महत्वपूर्ण है। हमने मुख्यमंत्री के साथ एक और बैठक का अनुरोध किया है।
स्वास्थ्य सचिव को हटाया जाना उनकी पांच सूत्री मांगों में प्रमुख बिंदुओं में से एक है। मंगलवार शाम करीब साढ़े छह बजे शुरू हुई और आधी रात तक चली आम सभा की बैठक के बाद प्रदर्शनकारियों ने राज्य के प्रशासनिक उपायों को अपने आंदोलन की 'केवल आंशिक जीत' बताया।
डॉक्टरों ने कहा कि वे मुख्य सचिव मनोज पंत को एक ईमेल भेजेंगे, जिसमें एक और बैठक के लिए मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा जाएगा। उन्होंने अस्पताल परिसर के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा पर चर्चा करने और इस बात पर गहन जानकारी देने की भी मांग की कि सरकार सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आवंटित 100 करोड़ रुपये कैसे खर्च करना चाहती है।
डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेजों में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले कार्य बल की तत्काल अधिसूचना की मांग की, जिसका वादा सोमवार को बनर्जी के आवास पर बैठक में किया गया था। उन्होंने यह भी मांग की कि छात्र निकाय चुनाव कराए जाएं।
एक महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच, मंगलवार को राज्य सरकार ने विनीत गोयल की जगह मनोज कुमार वर्मा को कोलकाता पुलिस का नया आयुक्त नियुक्त किया। बनर्जी द्वारा किए गए वादे के मुताबिक स्वास्थ्य सेवा निदेशक देबाशीष हलदर, चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) कौस्तव नायक और कोलकाता पुलिस के उत्तरी डिवीजन के उपायुक्त अभिषेक गुप्ता को भी पद से हटा दिया गया।
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