'जिसे रक्षा करनी थी, उसी ने जघन्य अपराध किया', कोर्ट में जूनियर डॉक्टर के परिजन के वकील की दलील
संजय रॉय को सियालदाह कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। इससे पहले कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान सीबीआई और मृत जूनियर डॉक्टर के माता-पिता वकील ने दलीलें दीं। जूनियर डॉक्टर के परिजनों के वकील ने कहा कि दोषी संजय रॉय ने उस पीड़ित के साथ जघन्य अपराध किया, जिसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उस पर थी।
कोलकाता (आरएनआई) सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के दोषी संजय रॉय को सियालदाह कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने संजय रॉय पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित परिवार को उसकी मौत के लिए 10 लाख रुपये मुआवजा और 7 लाख रुपये अतिरिक्त दिया जाना चाहिए।इससे पहले कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान सीबीआई और मृत जूनियर डॉक्टर के माता-पिता वकील ने दलीलें दीं।
जूनियर डॉक्टर के परिजनों के वकील ने कहा कि दोषी संजय रॉय नागरिक स्वयंसेवक है। स्वयंसेवक को अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन उसने खुद ही उस पीड़ित के साथ जघन्य अपराध किया, जिसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उस पर थी। वकील ने दोषी संजय रॉय को अधिकतम सजा देने की मांग की। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि हमें कोई मुआवजा नहीं चाहिए। हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
सुनवाई के दौरान मामले की जांच कर रही सीबीआई के वकील ने भी दलील दी। वकील ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम श्रेणी में आता है। समाज में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए रॉय को मौत की सजा है दी जानी चाहिए।
रॉय के बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष को ऐसे साक्ष्य दिए जाएं जो साबित कर सकें कि दोषी के सुधार की कोई संभावना नहीं है। हम मौत की सजा के अलावा किसी भी सजा के लिए प्रार्थना करते हैं। रॉय के वकील ने कुछ फैसलों का भी हवाला दिया जिनमें ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा को उच्च न्यायालयों द्वारा बदल दिया गया था।
कोर्ट रूम में दोषी संजय रॉय ने भी कहा कि मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैंने कुछ भी नहीं किया है और फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है। मुझे जेल में पीटा गया और कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। रॉय ने कहा कि जब सीबीआई ने मामले को अपने हाथ में लिया, तो एक रेलवे अस्पताल में मेडिकल परीक्षण किया गया, लेकिन इसमें कुछ भी नहीं दिखाया गया। उसकी मां है लेकिन उसकी गिरफ्तारी के बाद कोई भी उससे मिलने नहीं आया।
रॉय की दलील के बाद न्यायाधीश अनिरबन दास ने कहा कि फैसला सबूतों के आधार पर सुनाया गया है। मुकदमे में वकीलों द्वारा तीन घंटे की पूछताछ के दौरान उन्होंने पहले ही व्यापक बयान दिए थे। संजय रॉय को शनिवार को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत सियालदह के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनिरबन दास ने दोषी ठहराया था।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?