जिसे बेकार समझा उस मास्क की कीमत करोड़ों में
मास्क की करीब 45 लाख डॉलर यानी कि करीब 38 करोड़ रुपये में नीलामी हुई। इसके बाद दंपति ने उस डीलर के खिलाफ कानूनी मुकदमा दायर कर दिया, जिसे उन्होंने मास्क बेचा था।
पेरिस, (आरएनआई) फ्रांस में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक घर के गैराज में दुर्लभ मास्क रखा था, जिसे दंपति ने बेकार समझकर कुछ हजार रुपये में बेच दिया। लेकिन जब उन्हें मास्क की असल कीमत का पता चला तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। अब दंपति मास्क को वापस पाने के चक्कर में कानूनी लड़ाई में फंस गए हैं और इस लड़ाई में अफ्रीकी देश गैबॉन भी शामिल हो गया है। यह घटना फ्रांस में चर्चा का विषय बनी हुई है।
फ्रांस के निवासी 88 वर्षीय मिस्टर फोर्नियर और उनकी 81 वर्षीय पत्नी को साल 2021 में अपने गैराज की सफाई करते हुए एक अफ्रीकी मास्क मिला, उन्होंने उसे बेकार समझकर एक डीलर को सिर्फ 150 यूरो यानी कि करीब 37 हजार रुपये में बेच दिया। मास्क बेचने के कुछ दिन बाद मिस्टर फोर्नियर को अखबार में वही मास्क दिखाई दिया, जिसकी नीलामी हुई थी। नीलामी में मास्क की कितनी कीमत मिली, उसे जानकर मिस्टर और मिसेज फोर्नियर हैरान-परेशान रह गए। दरअसल मास्क की करीब 45 लाख डॉलर यानी कि करीब 38 करोड़ रुपये में नीलामी हुई। इसके बाद दंपति ने उस डीलर के खिलाफ कानूनी मुकदमा दायर कर दिया, जिसे उन्होंने मास्क बेचा था।
मिस्टर फोर्नियर के दादा रेने विक्टर एडवर्ड मौरिस फोर्नियर गवर्नर थे और जब फ्रांस का मध्य अफ्रीका पर शासन था तो वह अफ्रीका में गवर्नर रहे थे। माना जा रहा है कि वहीं से फोर्नियर के दादा वह मास्क लेकर आए थे। वह अफ्रीकी देश गैबॉन का पारंपरिक मास्क है, जो 19वीं सदी का है। इस मास्क को गैबोन के शक्तिशाली नगिल समुदाय के लोग पहनते थे, जो गैबॉन के फेंग समुदाय का हिस्सा था। नगिल समुदाय के लोग न्याय करने वाले लोग थे। गैबॉन में इस मास्क की काफी सामाजिक और धार्मिक अहमियत है।
वहीं मास्क की यह कानूनी लड़ाई अब अंतरराष्ट्रीय हो गई है। दरअसल गैबॉन की सरकार ने भी याचिका दायर कर मास्क की दावेदारी वाले मामले को निलंबित करने की मांग की है और कहा है कि यह मास्क उनकी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इस मास्क को गैबॉन को लौटा दिया जाना चाहिए। वहीं मास्क बेचने वाले दंपति की मांग है कि नीलामी का पैसा उन्हें दिया जाए। मास्क खरीदने वाले डीलर का तर्क है कि दंपति ने जो कीमत मांगी उसने वही अदा की और उसे भी मास्क खरीदते वक्त इसकी सही कीमत का अंदाजा नहीं था।
बहरहाल अब इस मामले पर अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी और पूरे फ्रांस की नजरें इस सुनवाई पर लगी हैं। बता दें कि फ्रांस के पास अफ्रीकी संस्कृति की कई धरोहरें हैं और लंबे समय से अफ्रीकी देश इन धरोहरों को लौटाने की मांग कर रहे हैं। फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति भी इसके पक्ष में हैं और कई देशों को उनकी सांस्कृतिक धरोहरें लौटायी भी गई हैं।
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