जिला प्रशासन शहर में जनहित कार्यों में क्यों नहीं हैं रुचि, विकास कार्य पूर्ण होने के इंतजार में?
गुना (आरएनआई) कब होंगी शहर विकास कार्यों को लेकर अतिक्रमण ओर कब्जो पर लंबित रखी गई कार्यवाही? क्षेत्रीय सांसद और गुना विधायक सहित जनप्रतिनिधियों एवं कर्मियों से मीटिंग में हुई थी विस्तृत चर्चा ?
_शहर में जनहित के तमाम मुद्दे चर्चित हैं, जिनमें लाखो लोगो का जीवन सुविधा ओर विकास को लेकर सीधे सीधे जुड़ा हैं जिनमें कुछ मुद्दे सार्वजनिक हित से जुड़े हैं, जिनमें मुख्य सड़को, पुटपाथ,नालियों,नाले, सार्वजनिक नजूल भूमि, यातायात, स्कूलों के पास अतिक्रमण, गुमटियों पर नशे की सामग्री पर रोकथाम,स्टेशन रोड पर अवेध कब्जा,सड़को पर गुमटियों, अस्थाई दुकानों लगाना आदि हैं। जिसमें प्रमुख मुद्दा सर्वे नंबर 722 की मुख्य सड़को में न्यायालय के आदेश के बाद भी सरकारी जमीन पर से अतिक्रमण न हटाया जाकर न्यायालय को गुमराह करना प्रमुख हैं जिसमें कनिष्ठ अधिकारियों ने जिला प्रमुख तक को गुमराह किया जाना चर्चित हैं।
_वही तेलघानी ओर हनुमान चौराहे के बीच सरकारी जमीन पर बनी एक नेता की होटल भी अवैध तरीके से निर्मित बताई जाती हैं, जिसका बताते हैं कि भूमि के विक्रय का भी विवाद हैं। क्योंकि सरकारी भूमि का खसरा नंबर भी बदलकर रजिस्ट्री ओर बाद में tncp से भी परमिशन लेकर बहुमंजिला होटल बनाई हैं। जिसकी शिकायत नगरपालिका सहित कलेक्ट्रेट में भी की गई हैं वहीं इसको तोड़ने का प्रकरण भी प्रचलित होकर लंबित हैं।
_इसी प्रकार मदरसा जैसी स्कूल के लिए ली गई जमीन के साथ सरकारी जमीन को भी कब्जा करके बोहरा कॉम्प्लेक्स बनाकर उसकी दुकानें को विक्रय या बड़ी रकम पर अनुबंध करके दी गई के प्रकरण में कलेक्टर ने कॉम्प्लेक्स के जमीन आदि की विधिवत जांच कराने के उपरांत कॉम्प्लेक्स को सरकारी जमीन पर नियम विरुद्ध पाए जाने पर कॉम्प्लेक्स तोड़ने के आदेश जारी कर नगर पालिका को किया, उस आदेश का परिपालन नहीं हुआ, जिसकी शिकायत के बाद कार्यवाही न होने पर प्रकरण कोर्ट में प्रचलित हैं। जिसको न्यायालय ने वक्फ सम्पत्ति नहीं माना हैं।
_इसी प्रकार नजूल कॉलोनी से लगकर एक जमीन के न्यायालयीन प्रकरण में कोर्ट में जमीन को न वादी की माना और न ही प्रतिवादी की मानी। उसके बाद भी जमीन पर कॉलोनी काटने ओर विक्रय करके तहसील में मिलजुलकर नामांतरण भी करवाए जाने पर रोक की शिकायत के बाद जमीन को शासकीय घोषित कर रकबे में सुधार के साथ वैधानिक कार्यवाही करते हुए प्रकरण दर्ज की मांग लिखित शिकायत के साथ की थी। जिसकी जांच लंबित करके उक्त विवादित जमीन की बिक्री ओर रजिस्ट्री होती रही, जब इसकी शिकायत sdm ओर कलेक्टर को की तो उक्त फाइल ही गोल करके उस अवैध कॉलोनी का प्रकरण भी शासन हित तहसील में जानबूझकर लंबित रखा गया हैं।
_दूसरी ओर शहर के बिलोनिया में स्थित सरकारी भू_दान की विक्रय निषेध भूमि को विक्रय किए जाने की शिकायत में पूर्व कलेक्टर ने इसकी जांच कराई,जिसमें स्थानीय नायब तहसीलदार ने जांच की,जिसमे कुछ तथ्य छिपाने को लेकर एसडीएम कोर्ट ने अपना प्रतिवेदन कलेक्टर गुना को पिछले माह भेज दिया हैं, जिसमे उस जमीन की रजिस्ट्री में कूट जनित कमियां उल्लेखित पाई गई। इस प्रकरण भी शासन हित में dm साहब को निर्णय पारित होना हैं।
_इसी तरह शहर के मुख्यमार्गों पर अवैध रूप से वर्षो से बनते अवैध तलघर भी शहर के लोगो को यातायात में विकराल समस्या बन गए हैं,इनमें वाहन पार्किंग न होकर आम सड़क पर हो रहें हैं। इसको लेकर जिले के मुखिया को सख्त कार्यवाही का निर्णय लेना आवश्यक हैं,जैसी की मुख्यमंत्री जी की भी मंशा शहरों में बढ़ते अतिक्रमण को लेकर हैं।
_तो दूसरी ओर प्रमुख व्यावसायिक व्यस्तम अनुराधा_हनुमान गली में एक शासकीय भूमि, जो पूर्व में सार्वजनिक सराय फिर स्कूल के लिए आरक्षित शासकीय जमीन, सार्वजनिक गली,कुएं को पाटकर पर अवैध निर्माण जिसे नियम ओर शर्तों के विपरीत 12 मीटर की जगह 20 मीटर अवैध कॉम्प्लेक्स निर्माण किया और पार्किंग की जगह दुकानें विक्रय करने की शिकायत पूर्व dm महोदय को गई,जिसमे तत्कालीन sdm ओर तहसीलदार ने इसकी जांच करके परमिशन के विपरीत निर्माण सहित जमीन को सरकारी मानते हुए dm को रिपोर्ट की। बताते हे कि एक राजनीतिक पार्टी के नेताओं और धन माया के दवाब में फाइल दवा दी गई। इसकी परमिशन और निर्माण कि जांच में नगरपालिका द्वारा भी दवा कर रखी गई हैं। इसकी शिकायत भी वर्तमान कलेक्टर को की गई हैं जो लंबित हैं।
_विदित हो कि शहर के विभिन्न स्थानों पर 1956 के जिल्द बंदोबस्त में कब्रिस्तान,मरघट शाला,बच्चो के कब्रगाहों जो अनेकों जगह पर आरक्षित थे,उन स्थानों की 50 बीघा जमीनों को भूमाफियाओं, कॉलोनाइजरों ने हथिया कर कॉलोनी विकसित कर बेच दी हैं। सूत्र से मिली जानकारी अनुसार जिनमें सर्वे नंबर 1008, 1007 ओर सर्वे नंबर 975 ओर 976 जो रिकॉर्ड में सरकारी कब्रिस्तान की भूमि बताई जाती थी उसको विक्रय किस प्रकार हुआ उसकी जन चर्चा हैं। वही बूढ़े वाला जी में वच्चों का कब्रिस्तान नाम की जमीन नाम मात्र ही बची हैं, उसी प्रकार गुनिया नदी के वर्तमान दोनों पुलों के दोनों ओर पर भी मरघट शाला थी,जो अब कागजों में ही दिखती हैं। प्रशासन को चाहिए कि शहर की शासकीय भूमि में बने ओर आरक्षित मरघट शाला,कब्रिस्तान को खोज कर उनकी भूमि को मुक्त कराए ओर दोषियों से राजस्व वसूलते हुए उन्हें जेल भेजे।
_बता दे कि नगरपालिका, तहसील और कलेक्ट्रेट में शिकायत के बाद भी कार्यवाही न होने पर भू माफिया एवं सफेदपोश माफियाओ ने सरकारी भूमि,नजूल भूमि,नालों और तालाबों सहित नदियों को पाटकर लगातार भूमाफियाओं ने कब्जा कर उस भूमि पर मकान बना कर बेंच दिए या कॉलोनी काट दी,जिनपर वैधानिक कार्यवाही होना जनहित ओर शासनहित में नितांत आवश्यक हैं जिससे प्रशासन पर जन का विश्वास बना रहें?
जनहित, वित्त_शासन हित में खबर प्रकाशित?
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