जमानत की शर्त में ‘गूगल पिन’ मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने टेक दिग्गज से मांगी मदद
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक हलफनामा दिया है और सुझाव दिया है कि जहां तक गूगल पिन के काम करने का सवाल है, यह उचित होगा कि जानकारी गूगल इंडिया प्रा.लि. से मांगी जाए।
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नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने गूगल इंडिया से पिन देने के तकनीकी पहलुओं को समझाने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत एक मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें जमानत के लिए गूगल पिन जांचकर्ताओं से साझा करने की शर्त रखी गई है, ताकि उसकी आवाजाही पर नजर रखी जा सके। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर दावा किया है कि यह शर्त उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक हलफनामा दिया है और सुझाव दिया है कि जहां तक गूगल पिन के काम करने का सवाल है, यह उचित होगा कि जानकारी गूगल इंडिया प्रा.लि. से मांगी जाए। कोर्ट ने गूगल इंडिया प्रा.लि. को नोटिस जारी कर मूवमेंट ट्रैकर के तकनीकी पहलू साझा करने को कहा है।
पीठ ने स्पष्ट किया कि वह कंपनी को मामले में प्रतिवादी के रूप में शामिल नहीं कर रही है, बल्कि सिर्फ गूगल पिन के कामकाज के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए मदद मांगी है। इस मामले में वरिष्ठ वकील विनय नवारे ने न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता की और अधिवक्ता वरुण मिश्रा ने मामले में आरोपियों का प्रतिनिधित्व किया।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट की लगाई दो कड़ी शर्तों को खारिज करते हुए एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामले में आरोपी नाइजीरियाई नागरिक को जमानत दे दी। मई 2022 में हाईकोर्ट ने दो कड़ी शर्तें रखी थीं। पहली, आरोपी को यह सुनिश्चित करने के लिए गूगल मानचित्र पर एक पिन डालना होगा कि उसका स्थान मामले के जांच अधिकारी को उपलब्ध है।
दूसरी शर्त यह थी कि नाइजीरिया के उच्चायोग को रिकॉर्ड पर यह आश्वासन देना होगा कि आरोपी देश नहीं छोड़ेगा और आवश्यकता पड़ने पर ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होगा। पीठ ने कहा कि ऐसी कठिन शर्तें नहीं रखी जा सकतीं क्योंकि कोई भी दूतावास ऐसी शर्तों को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा। अदालत ने कहा, याचिकाकर्ता को गूगल पिन देने और नाइजीरिया के उच्चायोग से आश्वासन को छोड़कर नीचे की अदालतों की लगाई गई शर्तों पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है।
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