'जब तक कुछ हाथों में ही पैसा रहेगा, तरक्की नहीं हो सकती', देश की अर्थव्यवस्था पर राहुल गांधी का बयान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती, जब तक इसका फायदा सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।
नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को भारत की जीडीपी विकास दर के दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने पर चिंता जताई और कहा कि जब तक कुछ अरबपति ही इसका लाभ उठाते रहेंगे, तब तक देश की अर्थव्यवस्था की तरक्की नहीं हो सकती। राहुल गांधी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए नई सोच की जरूरत है और कारोबार के लिए एक नया समझौता उसका महत्वपूर्ण हिस्सा है।
राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, भारत की जीडीपी वृद्धि दर दो साल में सबसे नीचे 5.4 फीसदी पर आ गई है। बात साफ है- भारतीय अर्थव्यवस्था तब तक तरक्की नहीं कर सकती, जब तक इसका फायदा सिर्फ गिने-चुने अरबपतियों को मिल रहा हो और किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग और गरीब तरह-तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों। तथ्यों पर नजर डालिए, देखिए स्थिति कितनी चिंताजनक है।
उन्होंने आगे लिखा, खुदरा महंगाई दर बढ़कर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 फीसदी पर पहुंच गई है। पिछले साल अक्तूबर की तुलना में इस वर्ष आलू और प्याज की कीमत लगभग 50 फीसदी बढ़ गई है। रुपया 84.50 के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। बेरोजगारी पहले ही 45 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आगे कहा, पिछले पांच वर्षों में मजदूरों, कर्मचारियों और छोटे व्यापारियों की आमदनी या तो ठहर गई है या काफी कम हो गई है।
उन्होंने लिखा, आमदनी कम होने से मांग में भी कमी आई है। 10 लाख से कम क़ीमत वाले कारों की बिक्री में हिस्सेदारी घटकर 50 फीसदी से कम हो गई है, जो 2018-19 में 80 फीसदी थी। गांधी ने यह भी दावा किया कि सस्ते घरों की कुल बिक्री में हिस्सेदारी घटकर करीब 22 फीसदी रह गई है, जो पिछले साल 38 फीसदी थी। एफएमसीजी उत्पादों की मांग पहले से ही कम होती जा रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा, कॉरपोरेट कर (टैक्स) का हिस्सा पिछले 10 सालों में सात फीसदी कम हुआ है, जबकि आयकर 11 फीसदी बढ़ा है। नोटबंदी और जीएसटी की मार से अर्थव्यवस्था में विनिर्माण का हिस्सा घटकर 50 वर्षों में सबसे कम सिर्फ 13 फीसदी रह गया है। ऐसे में नई नौकरियों के अवसर कैसे बनेंगे? इसीलिए भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक नई सोच चाहिए और कारोबार के लिए एक नया समझौता उसका अहम हिस्सा है। सबको समान रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, तभी हमारी अर्थव्यवस्था का पहिया आगे बढ़ेगा।
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