जनवरी में 51 फीसदी तक बढ़ सकता है डीए
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि इस बार कर्मियों का डीए 46 फीसदी पर पहुंच जाएगा। ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता, जिसके चलते केंद्र सरकार, डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी न करे।
जयपुर, (आरएनआई) जनवरी 2023 में अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) 132.8 था। फरवरी में 132.7 रहा। मार्च में 133.3 हो गया। अप्रैल में 134.2 पर पहुंच गया। मई में 134.7 रहा। जून में छलांग लगाकर सीपीआई-आईडब्ल्यू 136.4 पर पहुंच गया। जनवरी से केंद्रीय कर्मियों के डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी हो गई। डीए की दर 42 फीसदी पर पहुंच गई। अब केंद्रीय कर्मियों को उम्मीद है कि अगले साल जनवरी में उनका डीए 51 फीसदी तक बढ़ सकता है। हालांकि अभी तक जुलाई से बढ़ने वाले डीए की घोषणा नहीं की गई है। कर्मियों का कहना है कि इसमें भी चार फीसदी की बढ़ोतरी होगी। इसके बाद डीए 46 फीसदी हो जाएगा। अगले साल जनवरी में सरकार इसे पांच फीसदी तक कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो कर्मियों की सेलरी रिवाइज होगी। कई तरह के भत्तों में भी 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो जाएगी। जुलाई 2023 में सीपीआई-आईडब्ल्यू 139.7 पर रहा था। अगस्त में वह 139.2 अंकों पर संकलित हुआ। सितंबर, अक्तूबर, नवंबर और दिसंबर में सीपीआई-आईडब्ल्यू 140.2 रह सकता है। ऐसे में उन्हें जनवरी 2024 में पांच फीसदी डीए मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो सरकार को आठवां पे कमीशन गठित करना होगा।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से संबंधित कार्यालय द्वारा हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए मूल्य सूचकांक का संकलन सम्पूर्ण देश में फैले हुए 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर किया जाता है। सूचकांक का संकलन 88 औद्योगिक केंद्रों एवं अखिल भारत के लिए किया जाता है। यह संकलन, आगामी महीने के अंतिम कार्यदिवस पर जारी होता है। अगस्त 2023 के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) 0.5 अंक घटकर 139.2 अंकों के स्तर पर संकलित हुआ है। सूचकांक में पिछले माह की तुलना में 0.36 फीसदी की कमी रही। एक वर्ष पूर्व इन्हीं दो महीनों के बीच 0.23 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।
सूचकांक में दर्ज कमी में अधिकतम योगदान खाद्य एवं पेय समूह का रहा है।, जिसने कुल बदलाव को 0.71 बिंदु प्रतिशतता से प्रभावित किया है। मदों में गेंहू, पोल्ट्री/चिकन, मुर्गी के अंडे, कॉटन सीड तेल, सेब, बैंगन, फूलगोबी, हरी मिर्च, अदरक, भिंडी, टमाटर, घरेलू बिजली और मिट्टी का तेल इत्यादि सूचकांक को घटाने में जिम्मेवार रहे हैं। इसके विपरित मुख्यत: चावल, अरहर दाल, प्याज, जीरा, तैयार भोजन, सिलाई प्रभार, स्कूल व आईटीआई की किताबें, निजी अध्यापन/कोचिंग केंद्र शुल्क, ट्यूशन और अन्य फीस स्कूल आईटीआई, स्टेशनरी इत्यादि ने सूचकांक में दर्ज कमी को नियंत्रित करने का प्रयास किया है।
केंद्र स्तर पर जयपुर के सूचकांक में अधिकतम 4.4 अंक की कमी रही है। अन्य तीन केंद्रों पर 3 से 3.9 अंक, 11 केंद्रों में 2 से 2.9 अंक, 13 केंद्रों में 1 से 1.9 अंक तथा 22 केंद्रों में 0.1 से 0.9 अंक के बीच कमी रही है। इसके विपरित कटक में अधिकतम 4.4 अंक की वृद्धि पाई गई है। इसके बाद जालंधर में 4.0 अंक की वृद्धि तथा दादर और नगर हवेली एवं कोलम, प्रत्येक में 3.7 अंक की वृद्धि रही है। अन्य तीन केंद्रों में 2.9 अंक, 9 केंद्रों में 1 से 1.9 अंक तथा 18 केंद्रों में 0.1 से 0.9 अंक के बीच बढ़ोतरी रही है। शेष 4 केंद्रों के सूचकांक स्थिर रहे हैं। अगस्त 2023 के लिए मुद्रास्फीति दर पिछले महीने के 7.54 फीसदी तथा गत वर्ष के इसी माह के 5.85 फीसदी की तुलना में 6.91 फीसदी रहा है। खाद्य स्फीति दर पिछले माह के 11.87 फीसदी एवं एक वर्ष पूर्व इसी माह के 6.46 फीसदी की तुलना में 10.06 फीसदी रहा।
लगभग एक करोड़ कर्मचारियों और पेंशनरों को पहली जुलाई से 4 फीसदी डीए वृद्धि की सौगात मिलेगी। राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक में 'ओपीएस' का मुद्दा रखने वाले अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि इस बार कर्मियों का डीए 46 फीसदी पर पहुंच जाएगा। ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता, जिसके चलते केंद्र सरकार, डीए में चार फीसदी की बढ़ोतरी न करे। कर्मचारी संगठनों को पूरी उम्मीद है कि सरकार, डीए की मौजूदा दर को 46 फीसदी पर ले जाएगी। इसके बाद जनवरी 2024 में जब चार फीसदी बढ़ोतरी के साथ, महंगाई भत्ता 50 फीसदी होगा तो केंद्र सरकार के समक्ष, दमदार तरीके से 8वें वेतन आयोग के गठन का प्रस्ताव रखा जाएगा। संभव है कि केंद्रीय कैबिनेट की आगामी बैठक में डीए बढ़ोतरी की घोषणा हो जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले साल 28 सितंबर को डीए की दरों में चार फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की थी। केंद्र सरकार के कर्मियों और पेंशनरों को दीपावली से पहले महंगाई भत्ता एवं महंगाई राहत का तोहफा मिल गया था। वह भत्ता पहली जुलाई 2023 से जारी हुआ था। उस वक्त 34 फीसदी की दर से मिल रहा महंगाई भत्ता 38 फीसदी हो गया था। उसके बाद जनवरी 2023 से उक्त भत्ते में दोबारा से चार फीसदी की वृद्धि हो गई। मौजूदा समय में महंगाई भत्ता, 42 फीसदी की दर से मिल रहा है।
संसद में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की कोई योजना नहीं है। केंद्र सरकार इस संदर्भ में विचार नहीं कर रही। ये सरकार की मनमर्जी ही तो है। सातवें वेतन आयोग ने सिफारिश की थी कि केंद्र में 'पे' रिवाइज हर दस साल में ही हो, यह जरूरी नहीं है। इस अवधि का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। यह पीरियोडिकल भी हो सकता है। हालांकि पे कमीशन ने इसकी कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी है कि कब और कितने समय बाद वेतन आयोग गठित होना चाहिए। कुछ माह बाद डीए 50 फीसदी के पार होने जा रहा है। ऐसे में नए डीए और एचआरए की संभावना बनना तय है पिछला वेतन आयोग 2013 में गठित हुआ था। उसके तीन साल बाद आयोग की सिफारिशें लागू हुईं। उस हिसाब से 2026 में वेतन रिवाइज होना चाहिए। इसके लिए 2023 में आयोग का गठन हो। संभव है कि केंद्र सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले आठवें वेतन आयोग का गठन करे।
संसद में इस मुद्दे पर जो सवाल जवाब हुए हैं, उनमें कहा गया है कि जनवरी 2016 से जनवरी 2023 के बीच में कर्मियों के वेतन और पेंशन में 42 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस अवधि के दौरान देश में प्रति व्यक्ति आय 111 फीसदी बढ़ी है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सदन में बताया था कि मुद्रा स्फीति के कारण वेतन और पेंशन के असली मूल्य में जो कटौती होती है, उसे पूरा करने के लिए डीए/डीआर दिया जाता है। अब डीए 42 फीसदी हो गया है। प्रति व्यक्ति आय तीन गुना हो गई। इसके साथ वस्तुओं के दाम भी उसी अनुरुप में बढ़े हैं। मतलब, केंद्र सरकार के कर्मी कम वेतन पर काम कर रहे हैं। पिछले तीन वेतन आयोगों की तरफ से कहा गया है कि जब डीए 50 फीसदी तक पहुंच जाए तो मुद्रा स्फीति के प्रभाव को कम करने के लिए भविष्य में पे रिवाइज किया जाए। जनवरी 2024 में डीए 50 फीसदी के पार हो जाएगा। अब सरकार कह रही है कि वेतन आयोग गठित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2023 (अनंतिम) में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर महंगाई के अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की दर 7.44 फीसदी रही है। जून 2023 (अंतिम) में संयुक्त सीपीआई दर 4.87 फीसदी थी। जुलाई 2022 में यही संयुक्त दर 6.71 फीसदी थी। जुलाई 2023 (अनंतिम) में उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) की संयुक्त दर 11.51 थी, जबकि जून 2023 (अंतिम) में संयुक्त सीएफपीआई दर 4.55 फीसदी थी। जुलाई 2022 में संयुक्त सीएफपीआई दर 6.69 फीसदी थी।
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