छात्रों के प्रदर्शन के बीच विदेश मंत्रालय ने खारिज किया भारतीय छात्रों का निर्वासन का आरोप
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा गए हैं। लेकिन हमने निर्वासन का सामना कर रहे कई छात्रों को नहीं देखा। एक मामला यहां या एक मामला वहां हो सकता है। उन्होंने व्यापक निर्वासन के दावों का खंडन पूरी तरह से खंडन किया।
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नई दिल्ली (आरएनआई) आखिरकार विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कनाडा से भारतीय छात्रों के निर्वासन के आरोपों का जवाब दिया। प्रवक्ता ने कहा कि हमने ऐसा नहीं देखा कि कई छात्र निर्वासन का सामना कर रहे हों। हो सकता है कि एक मामला कहीं तो दूसरा मामला कहीं और हो।
9 मई को सरकारी भवनों के आसपास सैकड़ों भारतीय छात्र आव्रजन नीतियों में अचानक बदलाव के बाए एकत्र हुए। छात्र इन नीतियों से असंतुष्ट हैं। छात्रों ने आरोप लगाया कि इन संशोधन के कारण पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद वर्क परमिट देने से इंकार कर दिया गया है। इस कारण से उनके निवास की स्थिति खतरे में पड़ गई। छात्रों ने बड़े पैमाने पर इन नीतियों के खिलाफ में कनाडा के प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में विरोध प्रदर्शन किया।
इसके बाद से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा गए हैं। लेकिन हमने बड़ी संख्या में निर्वासन का सामना करने वाले छात्रों को नहीं देखा। हो सकता है एक मामला यहां, एक मामला वहां हो सकता है। लेकिन कनाडा में छात्रों के साथ कोई बड़ी समस्या नजर नहीं आ रही।
भारतीय छात्रों के बड़े समूहों को चार्लोटाउन की सड़कों पर मार्च करते हुए देखा है। छात्रों ने विरोध के साथ धमकी भी दी है कि अगर मई के मध्य तक उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे भूख हड़ताल करेंगे, साथ ही विरोध प्रदर्शन भी अब बड़ी संख्या में करेंगे।
पिछले जुलाई में, पीईआई ने स्नातकोत्तर कार्य परमिट को सीमित करन के लिए कानून बनाया। यह केवल निर्माण, गृह-निर्माण और स्वास्थ्य देखभाल में योग्यता वाले छात्रों के लिए ही परमिट किया गया। इस अहम बदलाव के कारण अन्य उद्योगों में लगे कई छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया। इस कारण से उनके परमिट की समाप्ति की तिथि करीब आ गई। इसके अलावा पीईआई सरकार द्वारा 2024 में प्रांतीय नामांकित कार्यक्रम के माध्यम से स्थायी निवास के लिए नामांकित व्यक्तियों की संख्या को 25 प्रतिशत तक कम करने के निर्णय ने छात्रों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। इसके बाद एक प्रदर्शनकारी ने टूटे हुए वादों पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने हमें बुलाया, हमें झूठी उम्मीदें दी। और अब वो चाहते हैं कि हम चले जाएं। यह तो पूरी तरह हमारा शोषण है। हमें गलत जानकारी दी जा रही है।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने वर्क परमिट के विस्तार और हालिया आव्रजन नीति परिवर्तनों की समीक्षा की मांग की है। वे आव्रजन प्रणाली में स्थिरता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना चाहते हैं। अपनी पिछली परिस्थितियों के आधार पर नए नियमों में छूट चाहते हैं।
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