'चुनावी बॉन्ड योजना दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट', राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर हमला
चुनावी चंदा देने वाली कंपनियों के नाम सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट बताया।
ठाणे (आरएनआई) कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनावी चंदे को लेकर शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने इस योजना को दुनिया का सबसे बड़ा 'जबरन वसूली रैकेट' बताया। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि योजना के जरिए एकत्रित धन का इस्तेमाल सियासी दलों को बांटने और विपक्षी सरकारों को गिराने के लिए किया गया।
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के अंतिम चरण में ठाणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि चुनावी बॉन्ड और राज्यों में कांग्रेस या अन्य विपक्ष दलों की सरकारों द्वारा दिए गए अनुबंधों के बीच कोई संबंध नहीं है। राहुल गांधी की ओर यह टिप्पणी तब सामने आई है, जब एक दिन पहले चुनाव आयोग ने विभिन्न सियासी दलों को चुनावी चंदा और फंड देने वाली कंपनियों की सूची जारी की है। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंपी थी।
चुनावी बॉन्ड को लेकर विपक्ष पूरी तरह से हमलावर है। एक तरफ राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल इस मामले में एसआईटी गठित करने की बात कह रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने चुनावी बॉन्ड को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। साथ ही जयराम रमेश ने कहा है कि चुनाव आयोग द्वारा साझा किया गया डेटा अधूरा है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के खिलाफ नहीं है, लेकिन चुनाव प्रक्रिया में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल चाहती है ताकि मतदाता ये सुनिश्चित कर सके कि उनका वोट सही तरीके से डाला गया है। जयराम रमेश महाराष्ट्र के पालघर जिले के वाडा में एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पिछले साल से मुख्या चुनाव आयुक्त से मिलने का समय मांग रही है, लेकिन अभी तक उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने सवाल किया ‘आखिर चुनाव आयोग विपक्षी दलों से मिलने से क्यों डरता है।’ चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों का हवाला देते हुए रमेश ने कहा कि इसमें अधूरा विवरण दिया गया है। जयराम रमेश ने कहा कि सूची में चार श्रेणियां हैं। पहली श्रेणी उनकी जिन्होंने चुनावी बॉन्ड खरीदे और सरकारी अनुबंध प्राप्त किए। दूसरी श्रेणी में वो हैं जिन्होंने जांच एजेंसियों की धमकी के कारण बॉन्ड खरीदे। तीसरी श्रेणी में वो लोग हैं जिन्होंने अनुबंध पाने के लिए रिश्वत के रूप में बॉन्ड खरीदे। चौथी श्रेणी में वो लोग हैं, जिन्होंने मुखौटा कंपनियों के माध्यम से खरीदारी की। उन्होंने कहा कि ‘ये आज़ाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला है। हमारे पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है, हम जनता की अदालत में जाएंगे।’
स्टील टाइकून लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और एक कम प्रसिद्ध कंपनी - फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज चुनावी बांड के प्रमुख खरीदारों में से थे। चुनावी बॉन्ड के अधिकृत विक्रेता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने आंकड़ों में कहा है कि इस साल 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच दानदाताओं द्वारा कुल 22,217 चुनावी बांड खरीदे गए। जिनमें से 22,030 चुनावी बॉन्ड को राजनीतिक दलों ने भुनाया।
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