चीनी इंजीनियरों की मदद से भारत बनेगा अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर
जनवरी से अब तक तीन कंपनियों ने 36 चीनी पेशेवरों के लिए कारोबारी वीजा की मांग की है। इनमें टाटा पावर सोलर लि. ने 20, रिन्यू पावर ने नौ, अवाडा इलेक्ट्रो ने सात चीनी पेशेवरों के लिए वीजा की मांग की। तीनों फर्मों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. (एसईसीआई) को चीनी पेशेवरों की वीजा की मांग वाले ये आवेदन भेजे हैं।
नई दिल्ली (आरएनआई) अक्षय ऊर्जा समय की मांग है और सौर ऊर्जा इसका बेहतरीन जरिया है। देश में कई बड़ी कंपनियों ने इस क्षेत्र में अरबों डॉलर का निवेश किया है, लेकिन अब उन्हें चीन के पेशेवरों की जरूरत है, इसलिए इन कंपनियों ने चीनी इंजीनियरों और तकनीशियनों के लिए वीजा आवेदनों के लिए सरकार से संपर्क साधा है।
जनवरी से अब तक तीन कंपनियों ने 36 चीनी पेशेवरों के लिए कारोबारी वीजा की मांग की है। इनमें टाटा पावर सोलर लि. ने 20, रिन्यू पावर ने नौ, अवाडा इलेक्ट्रो ने सात चीनी पेशेवरों के लिए वीजा की मांग की। तीनों फर्मों ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि. (एसईसीआई) को चीनी पेशेवरों की वीजा की मांग वाले ये आवेदन भेजे हैं। एसईसीआई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करने वाली सरकारी एजेंसी है। इसे आखिरी आवेदन इस हफ्ते ही भेजा गया है। इसके बाद एसईसीआई ने इन आवेदनों को मूल मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को भेज दिया।
भारत ने 2030 तक अक्षय ऊर्जा से 500 गीगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसके लिए देश दुनिया के सबसे बड़े सोलर पैनल उत्पादक और निर्यातक चीन से उच्च-स्तरीय उपकरणों और प्रौद्योगिकी के आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
दुनिया का सबसे बड़ा सौर पैनल, इनवर्टर और टर्बाइन का उत्पादक और निर्यातक है। चीनी विशेषज्ञता की मांग इनके सौर मॉड्यूल की लागत-प्रभावशीलता और तकनीकी प्रगति से पैदा हुई है, क्योंकि इनकी, कीमतों में हाल के दिनों में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट देखी गई है।
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