चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा की मांग खारिज होने के बाद विपक्ष का राज्यसभा से बहिर्गमन
अरूणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में जमकर नारेबाजी व हंगामा किया। इसके बाद भी सभापति जगदीप धनखड़ ने जब उनकी एक ना सुनी तो उन्होंने सदन से बहिर्गमन किया।
नयी दिल्ली, 22 दिसंबर 2022, (आरएनआई)। अरूणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में जमकर नारेबाजी व हंगामा किया। इसके बाद भी सभापति जगदीप धनखड़ ने जब उनकी एक ना सुनी तो उन्होंने सदन से बहिर्गमन किया।
सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति ने आवश्यक दस्तावेज और विभिन्न संसदीय समितियों की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखवाईं।
इसके बाद उन्होंने बताया कि नियम 267 के तहत 12 नोटिस प्राप्त हुए हैं लेकिन एक भी नोटिस नियमों के पैमाने पर खरा नहीं उतरता। धनखड़ ने कहा कि उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए हैं।
इसके बाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्य अपनी सीट पर खड़े होकर सीमा पर चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग करने लगे।
राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य मनोज झा, जनता दल (यूनाईटेड) के रामनाथ ठाकुर और कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह ने इसी बीच सदन के नेता पीयूष गोयल द्वारा बिहार के खिलाफ की गई एक टिप्पणी का मामला उठाया और इसे बिहार का अपमान बताते हुए उनसे माफी की मांग की।
हंगामा बढ़ता देख, सभापति ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी बात रखने के लिए कहा।
खरगे ने कहा कि सत्र के पहले दिन से ही विपक्ष के सदस्य चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चीन पुल बना रहा है...मकान बना रहा है...हम इस मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं ताकि हम जान सकें कि वास्तव में कहां पुलों का निर्माण हो हो रहा है... देश को पता चले कि सीमा पर क्या हो रहा है।’’
उन्होंने गोयल के बिहार पर दिए बयान का मुद्दा भी उठाया और कहा कि उन्होंने बिहार व बिहार की जनता का अपमान किया है।
ज्ञात हो कि गोयल ने यह टिप्पणी मंगलवार को उस समय की जब राजद सांसद मनोज झा अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे। झा ने कहा कि सरकार को गरीबों और औद्योगिक घरानों पर समान रूप से ध्यान देना चाहिए। इस पर गोयल ने जवाब दिया, "इनका बस चले तो देश को बिहार बना दें।’’
गोयल आज हंगामे के बाद जैसे ही बोलने के लिए खड़े हुए विपक्षी सदस्यों ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया।
उनकी नारेबाजी के बीच ही गोयल ने कहा कि उनका इरादा बिहार और बिहार की जतना का अपमान करना कतई नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा बिहार या बिहार की जनता का अपमान करने का कतई इरादा नहीं था। अगर इससे किसी को ठेस पहुंची है तो मैं तत्काल अपना बयान वापस लेता हूं। यह किसी के प्रति द्वेष की भावना नहीं थी।’’
गोयल के बयान के बाद भी विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहा।
सभापति धनखड़ ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही चलने देने की अपील की। हालांकि विपक्षी सदस्यों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और वे चर्चा की मांग पर अड़े रहे।
हंगामे के बीच ही सभापति ने शून्यकाल के तहत तमिल मनीला कांग्रेस के सदस्य जी के वासन से उनका मुद्दा उठाने का कहा। इसी बीच, विपक्षी सदस्य आसन के निकट आ गए और चर्चा की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे।
धनखड़ ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने-अपने स्थानों पर लौट जाने का आग्रह किया। उन्होंने विपक्ष के नेता खरगे से भी आग्रह किया कि वे अपने सदस्यों को शांत कराएं और उन्हें उनके स्थानों पर लौटने को कहें। उन्होंने कहा कि यदि सदस्य अपने स्थान पर लौट जाएंगे तो वह विपक्ष के नेता को बोलने का अवसर देंगे।
उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों को आगाह किया कि वे उन्हें कार्रवाई जैसे कठोर कदम भी उठाने को मजबूर कर रहे हैं।
धनखड़ ने इसके बाद सदन के नेता और विपक्ष के नेता को एक बजे अपने कक्ष में आने को कहा।
आसन के बार-बार के अनुरोध के बाद विपक्षी सदस्य अपने स्थान की और लौट गए और फिर खरगे बोलने के लिए खड़े हुए।
खरगे ने कहा, ‘‘हम चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर चचा चाहते हैं लेकिन सरकार अडिग है। हम चाहते हैं कि सीमा के मुद्दे पर चर्चा हो।’’
इस पर, धनखड़ ने खरगे को याद दिलाया कि इस संबंध में नोटिस अस्वीकार कर दिए गए हैं।
खरगे ने कहा, ‘‘सदन में नियम एक तरफ रहते हैं और दूसरी तरफ सदन की परंपराएं, प्रथाएं और परिपाटियां होती हैं। ऐसी घटनाएं जब होती हैं तो सदन कैसे चलाया जाता है, यह भी सदन का ही काम है और आपका काम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ नियम पुस्तिकाएं ही नहीं हैं। परिपाटियां लिखी नहीं जातीं। परंपराएं हैं और इनके तहत ही हम मुद्दे उठा रहे हैं। लेकिन आपको गुस्सा आ रहा है और हमें तो उनके (सरकार) ऊपर (गुस्सा) आ रहा है।’’
खरगे की इस टिप्पणी का प्रतिकार करते हुए धनखड़ ने कहा कि उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता है।
उन्होंने कहा कि वह सदस्यों के आचरण से हैरान और परेशान जरूर हैं क्योंकि बार-बार नियम 267 की ओर ध्यान दिलाए जाने के बावजूद सदस्य नोटिस के संबंध में उनके द्वारा दी गई व्याख्या का अनुसरण नहीं कर रहे हैं।
इसी बीच, खरगे ने कहा कि सभापति ने उन्हें और सदन के नेता को अपने कक्ष में बुलाया है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मुद्दा है जिसके बारे में कमरे में चर्चा नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा, ‘‘यह कमरे में करने की बात नहीं है, कोई गोपनीय चीज नहीं है। यह देश के लिए है, चर्चा जरूरी है। देश की एकता के लिए हम लड़ेंगे। हम जवानों और सेना के साथ है।’’
इसके बाद गोयल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष बार-बार इसी मुद्दे को उठा रहे हैं जबकि उपसभापति ने स्पष्ट किया है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा करना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस विषय पर सरकार की तरफ से पूरी जानकारी रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री की तरफ से रखी गई है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में चर्चा करेंगे तो कई सारी पुरानी बातें निकलकर आएंगी, जिसमें एक पूर्व प्रधानमंत्री के जम्मू एवं कश्मीर के संबंध में दिए गए बयान और पूर्ववती कांग्रेस सरकार के विदेश मंत्री के पूर्व के बयान शामिल हैं।
इसके बाद विपक्षी सदस्यों का हंगामा और तेज हो गया। कुछ देर के पश्चात सभी विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।
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